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राजनंदगांव

Big Breaking: ताम्रध्वज को दिल्ली ले गए खडग़े, अटकलों का बाजार गर्म, मुख्यमंत्री की दौड़ में इनका भी नाम

पिछले दो दिनों से मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रहे अटकलों में अब सांसद ताम्रध्वज का नाम भी सामने आ गया है।

राजनंदगांवDec 13, 2018 / 01:55 pm

Dakshi Sahu

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Big Breaking: ताम्रध्वज को दिल्ली ले गए खडग़े, अटकलों का बाजार गर्म, मुख्यमंत्री की दौड़ में इनका भी नाम

भिलाई. पिछले दो दिनों से मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रहे अटकलों में अब सांसद ताम्रध्वज का नाम भी सामने आ गया है। गुरुवार को अचानक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के बुलावा पर पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खडग़े के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। इसके बाद से अटकलों का बाजार उनके नाम को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा गर्म हो गया है। साहू पहले भी सीएम पद के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन बुधवार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बैठक में रायसुमारी की गई थे विधायकों ने फैसला राहुल गांधी पर छोड़ दिया था।
15 साल के बाद सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई है। पूर्ण बहुमत हासिल करने के बाद अब बारी है मुख्यमंत्री चुनने की । ऐसे में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनाव जीतने के बाद सीएम की दावेदारी पेश कर सकते हैं। कौन बनेगा सीएम इस सवाल पर पत्रिका ने आपको चेहरे और नाम बता रहा है। इनमें से किसी एक नाम पर ही मुहर लगेगी।
भूपेश बघेल
पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। कांग्रेस ने भूपेश के नेतृत्व में चुनाव लड़कर लगातर 15 साल से शासन कर रही भाजपा से सत्ता छीन ली है। अवभिाजित मध्यप्रदेश में 1998 में दिग्विजय सरकार में परिवहन मंत्री थे। राज्य विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ में जोगी सरकार में राजस्व मंत्री व वर्ष 2003 से 2008 तक उप नेता प्रतिपक्ष रहे। पाटन से यह उनकी पांचवीं जीत है।
टीएस सिंहदेव
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव को भी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है। चुनावी घोषणा पत्रक तैयार करने में और रायपुर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में उनके चुनावी मैनेजमेंट के कारण कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता को देखते हुए संगठन का बड़ा खेमा सीएम के रूप में उनके नाम का पक्षधर है।
ताम्रध्वज साहू
सांसद व कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्हें मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। साहू अविभाजित मध्यप्रदेश में पाठ्य पुस्तक निगम के उपाध्यक्ष रहे। वर्ष 1998 में पहली बार विधायक बने। राज्य विभाजन के बाद जोगी सरकार में स्कूल शिक्षा और विद्युत राज्य मंत्री रहे। वर्ष 2003 में धमधा और 2008 में बेमेतरा के विधायक रहे।
रविंद्र चौबे
अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मंत्री और बाद में नेता प्रतिपक्ष रहे रविंद्र चौबे कांग्रेस से आठवीं बार चुनाव मैदान में हैं। वे 1985 से 2008 तक लगातार सात बार चुनाव जीते हैं। पिछली बार 2013 में हार गए थे। मध्यप्रदेश और बाद में नगरीय प्रशासन, उच्च शिक्षा एंव जनसंपर्क मंत्री रहे।रविंद्र मंत्री पद के प्रबल दावेदार तो हैं ही, उनके विधानसभा अध्यक्ष बनने की भी चर्चा है। मुख्यमंत्री की दौड़ में भी शामिल बताए जा रहे हैं।
अरुण वोरा
अविभाजित मध्यप्रदेश में वर्ष 1993 में पहली बार विधायक बने। वर्ष 2000 में जोगी सरकार में राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2013 में दूसरी बार विधायक बने। दुर्ग से लगातार छह बार चुनाव लडऩे का अनुभव। दिग्गज कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा के सुपुत्र होने के कारण मंत्री पद के सशक्त दावेदार।

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