डोंगरगांव. डोंगरगांव सेवताटोला तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य राशि और स्वीकृति होने के बावजूद नगर पंचायत नहीं करवा पा रही है। वर्षों से तालाब की सुंदरता के लिए होने वाले प्रयासों पर राज्य शासन ने राशि आबंटित कर दी है, पर आखिर
काम क्यों प्रारंभ नहीं किया जा रहा है, यह नागरिकों को समझ नहीं आ रहा है।
डोंगरगांव वार्ड 7 में कॉलेज रोड स्थित बड़ा तालाब को गहरा और सुंदर बनाने के लिए राज्य शासन ने 59 लाख रुपए नगर पंचायत को उपलब्ध करवाया है। राशि आने के बाद इस कार्य का निविदा निकालकर टेंडर स्वीकृत किया जा चुका है, लेकिन इस कार्य की शुरूवात के लिए सात महीने लग चुके हैं और कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं किया गया है। इसके पीछे नगर पंचायत और स्थानीय प्रशासन की मंशा क्या है। यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। तालाब के लिए स्वीकृत 59 लाख रुपए की राशि से तालाब का गहरीकरण, टो-वॉल, गार्डनिंग, पीचिंग, लाईटिंग और सुंदरता के लिए कार्य होना है। पर सात महीने से स्वीकृत इस राशि को खर्च क्यों नहीं किया जा रहा है।
इसके पीछे प्रशासनिक उदासीनता को कारण बताया जा रहा है। सब कुछ होने के बाद भी ठेकेदार फर्म को वर्क आर्डर नहीं दिया जा रहा है। तालाब के भीतर और बाहर कार्य के लिए ग्रीष्म काल को ही उपयुक्त समय माना जाता है। शेष समय में तालाब में पानी की अधिकता होती है। ऐसे में इन तीन महीनों में कार्य की शुरूवात नहीं की गई, तो यह कार्य पुन: साल भर के लिए फिर अटक जाएगा। सौंदर्यीकरण के नाम पर 59 लाख रुपए की राशि से तालाब का कायाकल्प बदलने की पूरी संभावना है, लेकिन बदहाल तालाब की दशा पर्याप्त राशि होने के बाद भी नहीं बदली जा रही है।
जानबूझकर देरी की जा रही
विकास कार्यों का रोना रो रहे नागरिकों के लिए इससे बुरा क्या हो सकता है कि सम्पूर्ण शासकीय औपचारिकता होने के बाद भी तालाब का सौंदर्यीकरण नहीं किया जा रहा है। इस मामले में जानबूझकर देरी की जा रही है। इसको लेकर नागरिकों में जमकर आक्रोश है। 59 लाख रुपए खर्च करके तालाब की दुर्दशा को शीघ्र सुधारने के बजाए उदासीनता के लिए जिमेदारी तय होना चाहिए और नागरिक सुविधाओं के प्रति इस कदर लापरवाही पर कार्यवाही होना चाहिए।
पहले भी अधूरा कामइससे पहले इसी तालाब पर सौंदर्यीकरण के नाम पर दस वर्ष पूर्व 36 लाख रुपए राज्य शासन ने दिया था, जिसमें से काम नहीं करवा पाने के कारण आधी राशि वापस हो गई थी और आधे से तालाब किनारे गार्डनिंग उजड़ चुकी है और लाईटिंग की गई थी उसे नये नगर पंचायत परिसर में लगाया गया है। यही हाल रहा तो यह स्वीकृति भी वापस ना मंगा ली जाए। ऐसे में स्थानीय स्तर पर नगर पंचायत रूचि आखिर ऐसे कार्यों के प्रति क्यों नहीं दिखाई देती। यह एक प्रश्न होगा, जिसका जवाब नागरिक मांग रहे हैं।