सुबह तड़के 4 बजे जब कुछ लोग सोकर उठे तब उन्होंने पहाड़ पर आग की लपटों को फैलते देखा। आग तेजी से पूरे पहाड़ में फैल रही थी। जिसके बाद मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति के पदाधिकारियों को जानकारी दी गई। सुबह वन विभाग के अफसरों तक सूचना नहीं पहुंची थी। इसलिए आग बुझाने के लिए वन कर्मी देरी से पहुंचे। बताया गया कि पहाड़ी पर आग मंदिर के पिछले हिस्से में लगी जो धीरे-धीरे पहाड़ में स्थित जंगल के पेड़, पौधों को चपेट में ले रही थी। कुछ लोगों ने आग को पुराना नेहरू कॉलेज की ओर से देखा। इसलिए ऐसा अनुमान लगा रहे हैं कि आग परिक्रमा पथ की ओर से लगी होगी।
वहीं स्थानीय लोगों की माने तो पिछले 20 दिनों से परिक्रमा पथ के एंट्री गेट को बंद कर दिया गया है। केवल बम्लेश्वरी डिपो से ही एक रास्ता बचा है जिससे परिक्रमा पथ जाया जा सकता है। इधर वन विभाग के अफसरों को सूचना मिलने के बाद वन अमला पहाड़ में लगी आग को बुझाने पहुंचा। वनकर्मी आग को फैलने से रोकने के लिए कटाव कर कई घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया।
प्रदेश में सबसे गर्म चल रहा डोंगरगढ़ का तापमान पिछले सप्ताह भर से प्रदेश में गर्मी तेज पड़ रही है। मार्च में ही पारा 38-39 डिग्री तक चल रहा है। पिछले तीन दिनों तक लगातार डोंगरगढ़ का तापमान 38 से 39 डिग्री के बीच रहा जो कि प्रदेश में सबसे सर्वाधिक था। यही वजह है कि पहाड़ में लगी आग तेजी से फैल गई। वहीं इस पूरी घटना को वन विभाग असामाजिक तत्वों का कारनामा बता रहा है। सामान्य वन परिक्षेत्र के रेंजर भूपेंद्र उइके में चर्चा में बताया कि दिन में लगी आग को प्राकृतिक कारण बताया जा सकता है। परंतु रात में जंगल की लकड़ी ठंडी होने के बावजूद अगर उसमें आग लग जाए तो यह जांच का विषय है।
दुकानदारों को भारी क्षति पहुंची थी अक्सर गर्मी के दिनों में लापरवाही से पहाड़ में आग लग जाती है। तीन वर्ष पहले कोरोना काल में जब मंदिर की सीढ़ियों में बनी दुकानें बंद थी तब दोपहर में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी। जिससे करीब दो दर्जन दुकाने जलकर खाक हो गई थी। इससे दुकानदारों का लाखों रुपए का नुकसान हुआ था। हालांकि आग इस बार मंदिर के पिछले हिस्से में आग लगी।