सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार भाटिया कोरोना पॉजिटिव हुए थे। इसके बाद वे पोस्ट कोविड की समस्या से जूझ रहे थे, इसके अलावा अन्य समस्याएं भी थीं, जिसका दिल्ली, रायपुर व अन्य जगहों पर इलाज चल रहा था। काफी समय से वे स्वास्थ्य को लेकर परेशान थे। हालांकि 72 वर्ष की उम्र में भी वे बेहद फिट दिखते थे और स्वास्थ्य को लेकर जागरुक रहते थे। वे रायपुर में मेडिशाइन अस्पताल के डायरेक्टर भी हैं।
भाटिया भाजपा शासन के समय कई बड़े पदों पर रह चुके हैं। भाटिया भाजपा शासन में परिवहन मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। वे छुरिया से तीन बार विधायक भी रहे। भाटिया भाजपा से अलग होकर निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके हैं। मिलनसार व्यक्तित्व के धनी भाटिया के इस कदम से भाजपा व छुरिया में शोक की लहर है।
डॉ. रमन सिंह की पहली सरकार में परिवहन मंत्री थे। बाद में सीएसआईडीसी के चेयरमैन रहे। 2008 में भाजपा ने जब उन्हें टिकट नहीं दी, तो भाजपा छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहे, भाजपा तीसरे नंबर पर रही। 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह लोकसभा का चुनाव लड़े, तब इनकी भाजपा में वापसी हुई, पर 2018 के चुनाव में भी इन्हें टिकट नहीं मिली।
रमन सरकार में मंत्री रहे रजिंदरपाल सिंह भाटिया ने खुदकुशी के पूर्व सुसाइडल नोट छोडा़ है और इस पत्र में उन्होंने अपनी राजनीति को बढ़ाने के लिए पूर्व मंत्री डॉ. रमन सिंह, उनकी पत्नी वीणा सिंह और पुत्र पूर्व सांसद अभिषेक सिंह को धन्यवाद दिया है। भाटिया ने यह भी लिखा है कि कोविड होने के बाद वे पीठ की तकलीफ से जूझ रहे थे और ऐसे समय में परिवार ने खूब सेवा की। उन्होंने लिखा कि वे प्रकृति के विपरीत काम कर रहे हैं लेकिन वे अब जा रहे हैं। खुदकुशी के करीब दस दिन पहले भाटिया ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल पुलिस के पास जमा कर दी थी।