डोंगरगांव में आवारा पशुओं और पशु अतिचार से परेशान लोगों के लिए कांजी हाउस बंद होना एक समस्या के रूप में सामने आ रहा है। जहां घुमंतू और नुकसान पहुंचाने वाले पशुओं को रखा जाता है लेकिन इस सुविधा के सारे भवन खंडहर में तब्दील हो गए हैं। शहर में दो साल से बंद कांजी हाउस का संचालन नगर पंचायत करता आ रहा था लेकिन इसे बंद करने के पीछे की वजह का फिलहाल पता नहीं है।
विभागीय स्तर पर खेती किसानी के महीनों में इसका संचालन अवश्य कर दिया जाता था, जब घुमंतू पशु रात्रि खेतों में फ सलों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे पशुओं के अतिचार से बचने कांजी हाउस कारगर उपाय था लेकिन नगरीय क्षेत्र में फ सलों को नुकसान पहुंचा रहे पशुओं को कृषक रात जागकर भगा रहे हैं और इसका समाधान उनके पास भी नहीं है। यही नहीं आवारा घुमंतु पशुओं के लिए भी कांजी हाउस एक समाधान विकल्प था। इससे होने वाली आर्थिक क्षति का भार झेल रहे लोग इसका स्थाई समाधान चाहते हैं लेकिन इसका कोई समाधान नहीं है।
इस मामले में नगर पंचायत सीधे तौर पर कुछ कहने की बजाय इसे आर्थिक बोझ मानती है। कर्मचारियों की माने तो कांजी हाउस में पशु चारे और व्यवस्था पर खर्च अधिक होता है और लाभ कुछ नहीं है। लाभ-हानि के आंकलन के चलते कांजी हाउस बंद कर दिया गया है। कांजी हाउस के बंद होने से एक बड़ा नुकसान शहर के यातायात व्यवस्था पर भी पड़ रहा है।