इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सरपंचों की भूमिका की कलेक्टर ने तारीफ की तथा कहा कि वे इन्हें चाय पर आमंत्रित करेंगे। इस सेक्टर में उल्लेखनीय कार्य करने वाली सुपरवाइजर मृदुभाषिणी की प्रशंसा भी उन्होंने की। कलेक्टर ने कहा कि बिल्डिंग बनाना आसान है लेकिन कुपोषण समाप्त करना कठिन है यद्यपि यह असंभव नहीं है। मृदुभाषिणी जैसी अच्छा काम कर रही सुपरवाइजरों एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं।
मृदुभाषिणी ने कुपोषण के स्तर में गिरावट लाने में मिली बड़ी कामयाबी को भी सबसे साझा किया। उन्होंने बताया कि वे तथा उनकी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पालकों से गृहभेंट के लिए निरंतर मिलीं तथा पोषक आहार के महत्व के बारे में बताया। इसके साथ ही सुपोषण लड्डू भी बच्चों को दिए। इस लड्डू में मिल्क पावडर और ड्राई फ्रूड भी मिलाये गए थे। इसके लिए सरपंचों ने पूरा सहयोग दिया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि सुपोषण अभियान जनभागीदारी को लेकर चलाया जा रहा है। इसके महत्व को मृदुभाषिणी जैसे सुपरवाइजर अच्छी तरह समझ रहे हैं और सबके साथ बेहतर तालमेल कर अच्छा काम कर रहे हैं। कलेक्टर ने आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं की भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में अब भी शौचालय नहीं है अथवा जर्जर हो चुके हैं तो इसे अवगत करा दें।
समीक्षा में यह बात सामने आई कि कुछ सुपरवाइजरों के सेक्टर की आंगनबाडिय़ों में कुपोषण में पांच फीसदी भी गिरावट नहीं आई। कलेक्टर ने कहा कि इस तरह की लापरवाही से यदि हर साल एक प्रतिशत कुपोषण में गिरावट होती रही तो इन सेक्टरों में कुपोषण को समाप्त करने में 20 साल लग जाएंगे। यह बिल्कुल ही अस्वीकार्य स्थिति है। इन सेक्टरों में सुपरवाइजरों के प्रदर्शन की नियमित समीक्षा होगी और स्थिति ऐसी ही बनी रहने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल इन्हें शो कॉज नोटिस दिया जाएगा और एक वेतन वृद्धि रोकी जाएगी।