राजनांदगांव से लेकर मध्यप्रदेश के जंगलों के विभिन्न जगहों से एकत्रित की गई दुर्लभ जड़ी बुटियों का संग्रह कर विशेष प्रकार की खीर प्रसाद तैयार कर वितरित किया गया जिसमें हर उम्र के पीडि़तजन सम्मिलित थे। खीर प्रसाद को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आकाश व चंद्रमा से होने वाली अमृत वर्षा के लिए मध्य रात्रि के पूर्व ही खुले मैदान में रख दिया गया था। खीर का निर्माण विशेष हलवाईयों द्वारा संध्या से ही प्रारंभ कर दिया था। संस्था के अध्यक्ष राजेश मारु, उपाध्यक्ष दीपक जोशी, सचिव गणेश प्रसाद शर्मा ‘गन्नूÓ, कोषाध्यक्ष नीलम जैन, महंत गोविंद दास, महेंद्र लुनिया, बलविंदर सिंह भाटिया, मनीष परमार, कुलबीर छाबड़ा, संजय खंडेलवाल, दामोदर अग्रवाल, आलोक जोशी, संतोष खंडेलवाल, कमलेश सिमनकर, हर्ष कुमार बिंदू, कुमार स्वामी, सत्यम शर्मा, संजीव अग्रवाल की देखरेख में किया गया। संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यकम को जनता व श्रद्धालुओं के सहयोग के अलावा जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व नगर निगम का भी विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।
शरद पूर्णिमा को ब्रम्हमुहूर्त में मां पाताल भैरवी सहित समस्त देवी देवताओं की पूजा अर्चना व आरती पश्चात प्रसाद स्वरूप भोग लगाकर पीडि़तों को वितरण का कार्य प्रारंभ हुआ जो सूर्योदय पश्चात तक चलता रहा। इस बार भी छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, बंगाल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखंड के अलावा अन्य राज्यों से भी स्वांस, दमा व अस्थमा के लगभग 35 हजार के करीब लोगों ने जड़ी बुटीयुक्त खीर प्रसाद ग्रहण किया। इसके लिए संस्था ने व्यापक तैयारी की थी। यहां आश्रम परिसर में बेरिकेटिंग की गई थी। वहीं विद्युत व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था व साफ सफाई की भी विशेष व्यवस्था की गई थी।