गोविंदपुर पंचायत के गठन के समय लापरवाही बरती गई है। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा बनाए गए नियमों का स्पष्ट उल्लंघन करने के पश्चात भी जिला प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं कि बिना किसी जांच के आनन-फानन में ऐसा कर दिया गया। अब इस गलती को सुधारना तो दूर अधिकारी यह कह रहे हैं कि 5 साल भुगत लो जब पुन: परिसीमन होगा तब ठीक कर देंगे। यानी कि ग्रामवासी 5 वर्षों तक अपने गांव से दूसरे पंचायत की सरहद पार कर अपने ग्राम पंचायत मुख्यालय जाना आना करेंगे। ऐसी स्थिति में आगामी सोमवार को प्रदेश के उच्च न्यायालय में हीरापुर गांव के ग्रामीण अपनी अर्जी लगाएंगे तथा राज्य शासन के इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर करेंगे। ग्रामीणों का कहना साफ है कि उनके द्वारा ना तो आवेदन किया गया और ना ही कोई उनसे सहमति ली गई। सहमति तो दूर पंचायत के गठन के पूर्व उनके कान में भनक तक नहीं पडऩे दी गई और यह सब क्षेत्र के आला नेताओं के इशारे पर किया गया है। ग्रामवासी इस बात को कभी भी नहीं भूलेंगे।
नेताओं के इशारे पर अधिकारियों द्वारा की गई इस बड़ी गलती की सजा तहसील प्रशासन के अधिकारियों को भुगतनी पड़ सकती है क्योंकि राज्य शासन द्वारा पंचायत के गठन के लिए 11 सितंबर को सभी जिलाधीश को जारी प्रपत्र के अनुसार छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 3 के अंतर्गत पंचायतों का परिसीमन करने के लिए एक नियमावली तैयार कर भेजी गई थी। जिसका पालन करना तो दूर उन नियमों का सरासर उल्लंघन कर गोविंदपुर पंचायत का गठन कर दिया गया। अब इस गलती का ठीकरा किस अधिकारी के सिर पर पड़ता है यह तो समय ही बताएगा। किंतु नाराज ग्रामीण जरूर आक्रोश में है और उनका यह आक्रोश सत्ता पक्ष को भारी पड़ेगा।