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राजनंदगांव

बिना आवेदन के नियम विपरीत अधिकारियों ने बना दिया नया पंचायत

हीरापुर व गोविंदपुर की सरहद भी एक नहीं

राजनंदगांवOct 20, 2019 / 11:16 am

Nakul Sinha

Officials made new panchayat without applying rules

नया पंचायत बनने से ग्रामीणों को होगी परेशानी, पनप रहा आक्रोश।

राजनांदगांव / डोंगरगढ़. जिला प्रशासन ने आनन-फानन ग्राम गोविंदपुर को पंचायत बना दिया। नियमों को ताक पर रखकर बनाई गई इस पंचायत में शामिल मक्काटोला पंचायत के आश्रित ग्राम हीरापुर की सरहद या सीमा भी गोविंदपुर से नहीं मिलती है। लाल बहादुर नगर की सरहद पार कर गोविंदपुर जाना पड़ता है। इसी प्रकार दोनों गांव के पटवारी हल्का नंबर भी अलग-अलग है, साथ ही हीरापुर से गोविंदपुर के लिए सीधी सड़क सुविधा भी नहीं है। हीरापुर निवासियों को पहले मक्काटोला या मोतीपुर फिर लालबहादुर नगर होकर गोविंदपुर जाना होगा। शासन द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार ग्रामीणों की सहमति नई पंचायत निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसमें ग्राम पंचायत के गठन के लिए 2011 की जनगणना को आधार माना गया है। साथ ही 2 ग्रामों को मिलाकर नवीन ग्राम पंचायत का गठन करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि दोनों ग्राम आपस में लगे हो। मुख्यालय ग्राम से आश्रित ग्राम की दूरी कम से कम हो, किसी भी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम में जाने के लिए अन्य ग्राम पंचायत के मुख्यालय या आश्रित ग्राम को पार करने जैसी स्थिति उत्पन्न ना हो। साथ ही ग्राम पंचायत में आने वाले ग्राम का पटवारी हल्का नंबर एक ही हो।
नियमों का किया गया उल्लंघन
गोविंदपुर पंचायत के गठन के समय लापरवाही बरती गई है। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा बनाए गए नियमों का स्पष्ट उल्लंघन करने के पश्चात भी जिला प्रशासन यह मानने को तैयार नहीं कि बिना किसी जांच के आनन-फानन में ऐसा कर दिया गया। अब इस गलती को सुधारना तो दूर अधिकारी यह कह रहे हैं कि 5 साल भुगत लो जब पुन: परिसीमन होगा तब ठीक कर देंगे। यानी कि ग्रामवासी 5 वर्षों तक अपने गांव से दूसरे पंचायत की सरहद पार कर अपने ग्राम पंचायत मुख्यालय जाना आना करेंगे। ऐसी स्थिति में आगामी सोमवार को प्रदेश के उच्च न्यायालय में हीरापुर गांव के ग्रामीण अपनी अर्जी लगाएंगे तथा राज्य शासन के इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर करेंगे। ग्रामीणों का कहना साफ है कि उनके द्वारा ना तो आवेदन किया गया और ना ही कोई उनसे सहमति ली गई। सहमति तो दूर पंचायत के गठन के पूर्व उनके कान में भनक तक नहीं पडऩे दी गई और यह सब क्षेत्र के आला नेताओं के इशारे पर किया गया है। ग्रामवासी इस बात को कभी भी नहीं भूलेंगे।
ग्रामीणों में पनप रहा आक्रोश
नेताओं के इशारे पर अधिकारियों द्वारा की गई इस बड़ी गलती की सजा तहसील प्रशासन के अधिकारियों को भुगतनी पड़ सकती है क्योंकि राज्य शासन द्वारा पंचायत के गठन के लिए 11 सितंबर को सभी जिलाधीश को जारी प्रपत्र के अनुसार छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 3 के अंतर्गत पंचायतों का परिसीमन करने के लिए एक नियमावली तैयार कर भेजी गई थी। जिसका पालन करना तो दूर उन नियमों का सरासर उल्लंघन कर गोविंदपुर पंचायत का गठन कर दिया गया। अब इस गलती का ठीकरा किस अधिकारी के सिर पर पड़ता है यह तो समय ही बताएगा। किंतु नाराज ग्रामीण जरूर आक्रोश में है और उनका यह आक्रोश सत्ता पक्ष को भारी पड़ेगा।

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