जो किसान नए नियमों के मुताबिक पंजीयन नहीं कराएंगे, वे सोसाइटियों में समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच पाएंगे। फसल कटाई व त्योहार की व्यस्तता में लगे किसानों की समस्या बढ़ गई है। किसान पटवारियों का चक्कर काट रहे हैं। पटवारियों के नहीं मिलने से भी उनकी परेशानी बढ़ जा रही है।
ज्ञात हो कि किसानों की जमीन का नक्शा, खसरा और रकबा को भुइंया कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन अपलोड किया गया, लेकिन डाटा को ऑनलाइन अपलोड करने में भारी लापरवाही बरती गई है। इस वजह से कई किसानों को ऑनलाइन रिकार्ड नहीं मिल रहा है। अब किसान अपना रिकार्ड दुरुस्त कराने भटक रहे हैं। ऑनलाइन रिकार्ड की कॉपी लेने के बाद उसे पटवारी से सत्यापन कराना भी अनिवार्य है।
सहकारी बैंक से मिली जानकारी अनुसार जिले में पिछले साल १ लाख ४८ हजार ९७१ किसानों ने धान बेचा है। इन किसानों को सोसाइटी में धान बेचने के लिए ई नक्शा-खसरा के साथ फिर से पंजीयन कराना पड़ रहा है। यही कारण है कि अब तक साढ़े नौ हजार किसानों ने पंजीयन कराया है।
मोहड़ के एक किसान आरके साहू ने जमीन बेचने के बाद चौहद्दी व नाप के लिए रुपए मांगने का आरोप लगाया है। इस मामले की शिकायत कलक्टर से की गई है। ग्रामीण ने आरोप लगाया है कि जमीन रजिस्ट्री बी-1, नक्शा-खसरा एवं नाम चढ़वाने के लिए पटवारी के पास जाते हैं, तो ३-४ हजार रुपए की मांग करते हैं। रजिस्ट्रार द्वारा स्कैन करने के लिए प्रति कॉपी ७०-१०० रुपए तक ले लिया जाता है। इस तरह तहसील कार्यालय में खुलेआम लूट मची है, जिससे किसान परेशान हो रहे हैं।
सुनील कुमार वर्मा, सीईओ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक