फरवरी 2019 में प्राचार्या के खिलाफ शासन द्वारा जारी की गई राशि में हेराफेरी करने की शिक्षा विभाग में शिकायत हुई थी। इस पर शिक्षा विभाग ने लेखा अधिकारी से मामले की जांच कराई। जांच में खुलासा हुआ कि शासन से विभिन्न मदों में जारी राशि आठ लाख का प्राचार्या के पास कोई हिसाब-किताब नहीं है। इसके बाद तत्कालीन शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई के लिए डीपीआई को पत्र लिखा गया था। जांच में करीब आठ लाख रुपए का प्राचार्या हिसाब नहीं दे पाई थीं। वहीं शाला विकास व परीक्षा शुल्क के नाम पर भी बच्चों से अतिरिक्त राशि वसूलने की बात सामने आई थी।
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी अनुसार शासन द्वारा विभिन्न मदो के माध्यम से जारी राशि का एकाउंट नहीं खुलवाया गया था। कैशबुक का संधारण नहीं मिला था। इस तरह प्राचार्या द्वारा करीब 8 लाख रुपए का कोई लेखा-जोखा नहीं रखा गया। विकास कार्यों में खर्च हुई राशि का बिल-बाऊचर भी उपलब्ध नहीं करा पाए थे।
डीईओ हेमंत उपाध्याय ने बताया कि वित्तीय गड़बड़ी का पुराना मामला था। शिकायत बाद शासन-प्रशासन स्तर पर जांच कराई गई थी। उसी जांच के आधार पर प्राचार्या को निलंबित करने की कार्रवाई शासन द्वारा की गई है।