मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम में कूड़ेदान मरम्मत के नाम पर 50-५० हजार रुपए का अलग अलग चार बिल (2 लाख रुपए) जमा किया गया है। बिल ठेकेदार वैभव कोचर के नाम पर है। वैभव कोचर भाजपा पार्षद व चेयरमेन का रिश्तेदार बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि 50 हजार व इससे कम के किसी काम की स्वीकृति भाव-पत्र यानि कोटेशन के आधार पर की जाती है।
भाव-पत्र के आधार पर शहर में कूड़ेदान की मरम्मत के लिए प्रावधान निकाला गया और इसका काम ठेकेदार वैभव कोचर को दिया गया। ठेकेदार द्वारा बकायदा मरम्मत कार्य कराने के नाम पर नगर निगम में बिल भी जमा कर दिया है। निगम के अधिकारी बिल को पास करने की तैयारी में भी हंै।
शहर में कहीं पर भी कूड़ादान नहीं है। कुछ जगहों में जहां पर कचरा डंप होता था, वहां निगम ने एसएलआरएम सेंटर बना दिया है। इन क्षेत्रों का पूरा कचरा एसएलआरएम सेंटरों में भेजा जाता है। जहां पर गीला व सूखा कचरा का अलग-अलग निष्पादन होता है। ऐसे में ठेकेदार द्वारा कौन से जगह के कूड़ेदान का मरम्मत किया गया है, यह बड़ा सवाल है।
इससे पहले निगम में स्वच्छता के नाम पर पार्षद मद से शहर के कई जगहों पर 10-10 हजार रुपए की लागत से स्टील की डस्टबिन खरीदी की गई थी। बाजार में इस डस्टबिन की कीमत इससे बहुत कम है। वर्तमान में अधिकांश जगहों का डस्टबिन गायब हो गया है। निगम प्रशासन लाखों रुपए खर्च कर खरीदे गए डस्टबिन की सुरक्षा भी नहीं कर पाया।
निगम के कई विभागों में बेवजह ही ठेका श्रमिक रखा गया है। मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश ठेका भाजपा पार्षद व चेयरमेन के रिश्तेदारों द्वारा ही चलाया जा रहा है। निगम के जल विभाग, पीडब्ल्यूडी, मोटर प्रतिपालन, विद्युत विभाग सहित अन्य विभागों में ठेका श्रमिक रखा गया है।
जबकि इन विभागों में पर्याप्त नियमित कर्मचारी हंै। आयुक्त निगम अश्वनी देवांगन ने बताया कि बहुत पहले कचरा उठाने वाले वाहनों की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत की गई थी। कुड़ेदान मरम्मत के लिए कहां से क्या बिल आया है इसकी जानकारी नहीं है। इसकी जांच की जाएगी।