ज्ञात हो कि जनपद क्षेत्र में कुल 76 सरपंच हैं। इनमें से 75 सरपंचों ने इस पूरे मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा लिया। जबकि एक स्वास्थ्यगत कारणों से अनुपस्थित रहे। बता दें कि यह पहला अवसर था जब किसी महिला ने सरपंच संघ के अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी अकेले ही पूरे दमखम से प्रस्तुत की थी और समानजनक मत भी प्राप्त किया। वहीं कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई के चलते बहुमत के बाद भी पराजय का सामना करना पड़ा। जनपद के सभाकक्ष में संपन्न हुए इस चुनाव में निर्वाचन अधिकारी के रूप में जनपद अध्यक्ष टिकेश साहू व उपाध्यक्ष सुयश नाहटा उपस्थित थे। जबकि अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता पूरे चुनाव प्रक्रिया के दौरान सााकक्ष में उपस्थित रहे। नवनिर्वाचित सरपंच संघ के अध्यक्ष टीकाराम सोनकर को पूर्व सरपंच संघ अध्यक्ष चंद्रकुमार साहू ने शुभकामना देते हुए संघ से संबंधित दस्तावेज व रजिस्टर सौंपा।
वार्ता हुई विफल तो जनपद पदाधिकारियों को बनाया चुनाव अधिकारी सरपंच संघ के अध्यक्ष के लिए वास्तव में जहां एकमात्र टीकाराम सोनकर का नाम अंतिम दौर में सामने आया था। वहीं कांग्रेस समर्थित अनेक सरपंच कुर्सी का वाब देख रहे थे। इसके लिए बकायदा प्रचार-प्रसार व वरिष्ठजनों का आशीर्वाद होने की बात दावेदार करते रहे। जैसे-जैसे समय नजदीक आते गया दावेदारों की संख्या बढ़ती गई और कांग्रेस में एकता करने के लिए बीते दो दिनों से जनपद के अध्यक्ष के कक्ष में लंबी मैराथन बैठक भी चली, परन्तु नतीजा सिफर रहा। हालात ये रहे कि बुधवार को कांग्रेस की ओर से तीन उमीदवारों ने अपने नामांकन दाखिल कर दिए। इनमें महिला दावेदार अनिता चंद्राकर, कमलनारायण वैष्णव व मयंक यदु शामिल हैं। वहीं स्थिति को हाथ से निकलता देख कांग्रेस ने रणनीति की तहत जनपद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को चुनाव अधिकारी के रूप में नियुक्त कर मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया, लेकिन कांग्रेस की फूट का नतीजा रहा कि ब्लॉक सरपंच संघ के अध्यक्ष का पद कांग्रेस के हाथ से जाता रहा। राजनीतिक हल्कों के अनुसार विधायक के चहेतों की पराजय कांग्रेस के अंदर असंतोष को दर्शाता है।