सुंदरा अस्पताल ने 60 बेड के कोविड अस्पताल की अनुमति प्रशासन से ली थी लेकिन यहां सौ के आसपास मरीजों को रखकर इलाज किया जा रहा था। जांच टीम के सामने अस्पताल प्रबंधन कोई सटीक जवाब नहीं दे पाया। इसे भी टीम ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज किया है।
राज्य सरकार ने कोविड मरीजों से आईसीयू, सामान्य और वेंटिलेटर बेड के लिए ली जाने वाली राशि को लेकर स्पष्ट तौर पर आदेश जारी किया है लेकिन इस अस्पताल में इससे ज्यादा राशि लिए जाने का भी रिकार्ड मिला है।
पूर्व में इस अस्पताल की मान्यता को लेकर भी स्थानीय स्तर पर और राज्य शासन को शिकायत की गई थी। इसके बाद भी इसे कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बना दिया गया। इस बिंदु पर भी जांच होने पर कई बड़े खुलासे होंगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति सीएमएचओ कार्यालय के माध्यम से मरीजों के लिए अस्पतालों में करने का आदेश जारी किया था। सुंदरा अस्पताल ने सीधे कंपनी से इसकी खरीदी की थी। जांच टीम ने पाया कि अस्पताल ने रेमडेसिविर की आपूर्ति और मरीजों को लागाए गए इंजेक्शन का रिकार्ड संधारण नहीं किया है। मुकेश रावटे, एसडीएम राजनांदगांव ने बताया कि हमने अस्पताल में जाकर दस्तावेजों की जांच की है। जांच प्रतिवेदन गुरुवार को तैयार होगा और कलेक्टर के सामने रखा जाएगा। डॉ. मिथलेश चौधरी, सीएमएचओ राजनांदगांव ने बताया कि सुंदरा अस्पताल की जांच के लिए टीम गई थी। कई बिंदुओं पर जांच हुई है। जांच प्रतिवेदन के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।