इस वर्ष परम्परागत आयोजनों के अलावा खालसा क्रिकेट प्रीमियर लीग एवंं महिलाओं के लिये सर्किल बॉल प्रतियोगिता, सिक्ख बच्चों के मध्य कविता पाठ, शबद गायन, गुरवानी लेक्चर प्रतिस्पर्धा, सोमवार को विशाल रक्तदान शिविर का भी आयोजन रखा गया है। गुरूद्वारा श्रीगुरूसिंघ सभा के सचिव सरदार यशपाल सिंह भाटिया ने बताया कि विश्व बंधुत्व के अद्वितीय प्रणेता श्री गुरूनानक देव जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में विगत दो माह से गुुरूग्रंथ साहेब के अखण्ड पाठ की श्रृंखला अनवरत जारी है। साथ ही २१ दिनों से गुरूद्वारा साहेब से प्रात: ५ बजे प्रभात फेरियों का आयोजन जारी है। पंजप्यारो की अगुवाई में शोभा यात्रा विशेष रूप से टे्रलर में निर्मित एवं सुसज्जित वाहन से निकली।
उत्तराखंड और दिल्ली से आ रहे रागी जत्थे उत्तराखंड से आमंत्रित रागी जत्थे के अलावा दिल्ली से आमंत्रित रागी जत्था भाई मोहिंदरजीत सिंग तथा हजुरी रागी जत्था, भाई हरमनजीत सिंह सोमवार ११ नवंबर सुबह एवं संध्या की दीवान में अपने मनोहारी शबद कीर्तन द्वारा सिक्ख संगत को निहाल करेंगे। मुख्य आयोजन मंगलवार १२ नवम्बर को आयोजित है जिसमें सुबह ८ बजे से लेकर दोपहर बाद १.३० बजे तक लगातार शबद कीर्तन गुरूवाणी विचारों द्वारा इस शताब्दी आगमन पर्व को सार्थक किया जाएगा। उसके बाद गुरू का लंंगर अतुुट बरतेगा।
पूरे शहर को आकर्षक ढंग से सजाया गया शताब्दी प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में पूरे शहर को विशेष स्वागत गेटो, फ्लैक्स, बोर्ड तथा होडिंग एवं विद्युत झालरों से सजाया गया है। इस नगर कीर्तन के लिए पंजाब से विशेष बैंड-पार्टी तथा पुुष्प वर्षा के लिए विशेष आयातित मशीन मंगायी गई। गुरूग्रंंथ साहेब की पालकी के आगे पुष्पवर्षा करती गाड़ी, ५ घोड़े, नगर कीर्तन करते भाईयों-बहनों के कीर्तनी जत्थेे तथा सिक्खी स्वरूप में सजे छोटे-छोटे बच्चें इस प्रकाश पर्व के आयोजन की शोभा बढ़ा रहे थे।
शहरभर में घूमी शोभायात्रा कीर्तनी जत्थों तथा रागी जत्थों द्वारा शबद कीर्तन के माध्यम से गुरूद्वारा साहेब से प्रारंभ शोभा यात्रा मानव मंदिर चौैक, सिनेमा लाईन, गंज लाईन, पुराना बस स्टैण्ड, जी ई रोड, पोस्ट ऑफिस चौक, भगत सिंह चौक से गुरूनानक चौक होती यह यात्रा वापस गुरूद्वारा पहुंची। गुरुद्वारा में उत्तराखण्ड से विशेष रूप से आमंत्रित रागी जत्था भाई हरजीत सिंग सागर द्वारा शबद कीर्तन द्वारा उपस्थित सिक्ख संगत को निहाल किया गया। तत्पश्चात प्रसाद वितरण एवं गुरू का लंगर हुआ।