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राजनंदगांव

एक ही परिवार के छह सदस्य धारण करेंगे वैराग्य, पति-पत्नी अपने चार बेटे-बेटियों सहित जैन मुनियों के सानिध्य में लेंगे दीक्षा

राजनांदगांव शहर में एक ही परिवार के छह सदस्य वैराग्य धारण कर रहे हैं। शहर का डाकलिया परिवार वैराग्य की राह अपनाने जा रहे है।

राजनंदगांवJan 25, 2022 / 02:24 pm

Dakshi Sahu

एक ही परिवार के छह सदस्य धारण करेंगे वैराग्य, पति-पत्नी अपने चार बेटे-बेटियों सहित जैन मुनियों के सानिध्य में लेंगे दीक्षा

एक ही परिवार के छह सदस्य धारण करेंगे वैराग्य, पति-पत्नी अपने चार बेटे-बेटियों सहित जैन मुनियों के सानिध्य में लेंगे दीक्षा

राजनांदगांव . राजनांदगांव शहर में एक ही परिवार के छह सदस्य वैराग्य धारण कर रहे हैं। शहर का डाकलिया परिवार वैराग्य की राह अपनाने जा रहे है। स्थानीय जैन बगीचा में डाकलिया परिवार के दीक्षा की राह में चलने की रस्मे चल रही है। संयम की राह पर अग्रसर मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया, उनकी धर्मपत्नी मुमुक्षु सपना डाकलिया, दोनों पुत्र मुमुक्षु देवेंद्र डाकलिया, मुमुक्षु हर्षित डाकलिया एवं दोनों पुत्रियां मुमुक्षु महिमा डाकलिया एवं मुमुक्षु मुक्ता डाकलिया ने सोमवार को प्रेसवार्ता में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन की सार्थकता को सफल बनाने परिवार सहित वैराग्य की राह अपना रहे हैं। उन्होंने बताया कि सन 2011 में कैवल्यधाम कुम्हारी में उनकी वैराग्य की इच्छा जागृत हुई थी। उन्होंने 51 दिन का तप भी किया। सन 2012 में चेन्नई में उन्होंने यह तप अपने परिवार के साथ गुरु भगवंतो के सानिध्य में पूरा किया। यह साधु जीवन की ट्रेनिंग थी। इसके बाद उन्होंने एवं परिवार ने अनेक तप किए।
दीक्षा के बाद गुरु भगवंतो के चरण में जाएंगे
मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया ने कहा कि धन, वैभव तो सब यहीं रह जाते हैं। दादा गुरुदेव की मूर्ति को देख कर मन में वैराग्य की भावना और प्रबल हो जाती है। उन्होंने कहा कि गुरु भगवंतो के सानिध्य में रहकर वे अपना जीवन सार्थक करना चाहते हैं। आचार्य जिन पीयूष सागर जी ने उन्हें और उनके परिवार को पात्र समझा और 27 जनवरी को वे हमारा हाथ पकड़ लेंगे। उन्होंने कहा कि यह उनका तथा परिवार का, पाठशाला में प्रवेश होगा । इसके बाद गुरु के सानिध्य में उनका संयमी जीवन प्रारंभ होगा। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की प्रेरणा स्त्रोत उनकी धर्म सहायिका सपना डाकलिया है। भूपेंद्र डाकलिया ने यह भी बताया कि छह साल की उम्र में उनके छोटे पुत्र हर्षित डाकलिया ने बाल लोच करवाया था।
आचार्य श्री जी की जीवन शैली ने प्रभावित किया
मुमुक्षु हर्षित डाकलिया ने कहा कि आचार्य श्री जी की जीवन शैली ने उन्हें काफी प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि जब आचार्य श्री के पास वे जाते हैं तो उनके तपस्वी जीवन को देखकर लगता है कि ऐसा ही जीवन जीना चाहिए और इसी वजह से उन्होंने संयम का मार्ग चुना।
27 जनवरी को एक साथ आठ लोग लेंगे दीक्षा
पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व महापौर, सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष एवं पाश्र्वनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट समिति के मैनेजिंग ट्रस्टी नरेश डाकलिया ने कहा कि यह राजनांदगांव का पुण्य है और सौभाग्य है कि 27 जनवरी को एक साथ आठ लोगों की दीक्षा यहां होगी। आचार्य जिन पीयूष सागर जी के मुखारविंद से इनकी दीक्षा संपन्न होगी। इतनी बड़ी संख्या में दीक्षा राजनांदगांव में कभी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि कई जन्मों का पुण्य होता है तो ऐसा दुर्लभ अवसर मिलता है। उनकी इच्छा है कि उनके भतीजे भूपेंद्र डाकलिया का परिवार संयम की राह पर अग्रसर हो और तपस्या कर अपनी मंजिल प्राप्त करें। डाकलिया परिवार के 6 सदस्यों के अलावा 27 जनवरी को शहर के प्रसिद्ध गायक स्व.रतन लूनिया की पत्नी सुशीला देवी और संगीता जी गोलछा भी एक साथ दीक्षा लेंगी।

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