मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया ने कहा कि धन, वैभव तो सब यहीं रह जाते हैं। दादा गुरुदेव की मूर्ति को देख कर मन में वैराग्य की भावना और प्रबल हो जाती है। उन्होंने कहा कि गुरु भगवंतो के सानिध्य में रहकर वे अपना जीवन सार्थक करना चाहते हैं। आचार्य जिन पीयूष सागर जी ने उन्हें और उनके परिवार को पात्र समझा और 27 जनवरी को वे हमारा हाथ पकड़ लेंगे। उन्होंने कहा कि यह उनका तथा परिवार का, पाठशाला में प्रवेश होगा । इसके बाद गुरु के सानिध्य में उनका संयमी जीवन प्रारंभ होगा। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की प्रेरणा स्त्रोत उनकी धर्म सहायिका सपना डाकलिया है। भूपेंद्र डाकलिया ने यह भी बताया कि छह साल की उम्र में उनके छोटे पुत्र हर्षित डाकलिया ने बाल लोच करवाया था।
मुमुक्षु हर्षित डाकलिया ने कहा कि आचार्य श्री जी की जीवन शैली ने उन्हें काफी प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि जब आचार्य श्री के पास वे जाते हैं तो उनके तपस्वी जीवन को देखकर लगता है कि ऐसा ही जीवन जीना चाहिए और इसी वजह से उन्होंने संयम का मार्ग चुना।
पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व महापौर, सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष एवं पाश्र्वनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट समिति के मैनेजिंग ट्रस्टी नरेश डाकलिया ने कहा कि यह राजनांदगांव का पुण्य है और सौभाग्य है कि 27 जनवरी को एक साथ आठ लोगों की दीक्षा यहां होगी। आचार्य जिन पीयूष सागर जी के मुखारविंद से इनकी दीक्षा संपन्न होगी। इतनी बड़ी संख्या में दीक्षा राजनांदगांव में कभी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि कई जन्मों का पुण्य होता है तो ऐसा दुर्लभ अवसर मिलता है। उनकी इच्छा है कि उनके भतीजे भूपेंद्र डाकलिया का परिवार संयम की राह पर अग्रसर हो और तपस्या कर अपनी मंजिल प्राप्त करें। डाकलिया परिवार के 6 सदस्यों के अलावा 27 जनवरी को शहर के प्रसिद्ध गायक स्व.रतन लूनिया की पत्नी सुशीला देवी और संगीता जी गोलछा भी एक साथ दीक्षा लेंगी।