कलक्टर ने मामले की जांच पड़ताल के बाद मनराखन देवंागन के खिलाफ पारित फैसले में देवंागन को पद से हटाने और अगले पांच साल तक चुनाव लडऩे पर रोक लगाई थी। मनराखन देवंागन ने मामले को पूरी तरह से राजनितिक बताते हुए इसे हाईकोर्ट बिलासपुर में चुनौती दी थी जिस पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कलक्टर के आदेश को खारिज करते अक्टूबर 17 में मनराखन देवंागन को पार्षद पद पर बहाल करने के आदेश जारी किए थे।
मनराखन की दोबारा ताजपोशी के बाद भी मामले से संतुष्ट नही हुए नपा उपाध्यक्ष रामाधार रजक ने इसे हाईकोर्ट की डबल बैंच में चुनौती देते याचिका लगाई थी। जिस पर चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच में सुनवाई हुई। बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को यथावत रखते पार्षद मनराखन देवंागन को बहाल रखने के ही आदेश दिए है।
मनराखन देवांगन नगर पालिका के 2010-15 वाले कार्यकाल में निर्वाचित पार्षद थे। इस दौरान वह ज्योति भोंडेकर विरुद्ध भीष्म कुमारी भोंडेकर व अन्य के मामले में एसडीओ राजस्व की कोर्ट में पैरवी के लिए उपस्थित हुए थे, इस आरोप में उन्हें एडिशनल कलक्टर के आदेश से 10 जनवरी 2017 को पद से हटाने के साथ ही पांच साल तक पार्षद का चुनाव लडऩे के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया गया। एडिशनल कलक्टर के आदेश के खिलाफ अपील भी राज्य शासन द्वारा 25 जुलाई 2017 को खारिज कर दी गई, इस पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर बताया था कि एडिशनल कलक्टर के नोटिस के जवाब में उन्होंने स्पष्ट कर दिया था। हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2017 को याचिका मंजूर करते हुए एडिशनल कलक्टर और राज्य शासन द्वारा दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ शिकायतकर्ता नपा उपाध्यक्ष रामाधार रजक ने अपील की थी, इस पर चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच में सुनवाई हुई।