जानकारी के अनुसार वार्ड 1 से लेकर 5 तक बिल माह अप्रैल का बिल अंतिम तिथि को सुबह 11 बजे दिया जा रहा है। स्पॉट बिलिंग द्वारा उपभोक्ताओं को कंपनी के अनुसार कम से कम सप्ताह भर का टाइम दिया जाना चाहिए। वर्तमान में वार्ड 1 से लेकर 5 तक लगभग 800 उपभोक्ता को बिल के अंतिम दिन दिया गया। जिससे उपभोक्ताओं में आक्रोश है। बिल नही पटने पर हर महीने पटा रहे उपभोक्ता एक महीने न बिल अदा करे तो कंपनी लाइन काट दी जाती है। वहीं कमजोर वर्ग और हर महीने बिल पटाने वाले को एक महीना समय भी नही दिया जाता है। उच्च वर्ग के उपभोक्ता के कई समय से बचे हुए राजस्व पर धीमा वसूली की जाती है। स्पॉट बिलिंग बिल नही मिलने पर आफिस जाए तो अधिकारी का कहना है मैं स्पॉट बिलिंग करने वालो से बात करता हुं। ऐसा कहते और बिल के अंतिम दिन बिल दिया जाने का सिलसिला थम नही रहा है। बिल पटाने के लिए समय नही दिया जाता। जिससे उपभोक्ता बिल पटाने में विलंब हो जाते है जिससे उनके बिल पिछले माह से जुड़कर डबल हो जाते है और सरचार्ज बिल लिया जाता है। इससे बिजली बिल हाफ जैसे योजना का लाभ लोगों को नही मिल रहा है।
सूत्रों से जानकारी के अनुसार नगर के 1 से लेकर 15 वार्ड तक लगभग 11 हजार उपभोक्ता है। जिनका बिलिंग स्पॉट बिलिंग करने वाले कर्मचारी ऑनलाइन बिल निकाल कर उपभोक्ताओं को दिया जाता है। जिसमें एक मीटर में बिलिंग करने में तकरीबन 5 मिनट का समय लगता है और इतने बड़े कार्यो के लिए महज 3 से 4 कर्मचारी ही है। वो भी आए दिन काम छोड़ कर चले जाते है और उसके जगह फिर दूसरा कर्मचारी आ जाता है जो बिल्कुल नया रहता है और उसको बिलिंग करने में बहुत कठिनाई होती है। अगर स्थिति यही रही तो बहुत जल्द लोगों का गुस्सा इस ओर आक्रोशित होते जाएगा।
वही इस पूरे मामले पर जेई गोपाल प्रसाद साहू से दूरभाष पर संपर्क किया लेकिन मोबाइल बंद होने से चर्चा नहीं हो पाई। सरकारी कामकाज के समय मोबाइल बंद होना अधिकारी की उदासीनता को इंगित करता है।
इस मामले में पंडरिया निवासी उपभोक्ता अभिषेक यादव ने बताया है कि स्पॉट बिलिंग उसी दिन करने के पश्चात् उसी समय बिल अदा करने का लिखित में आदेश दिया जा रहा है। और उस तारीख को उपभोक्ता बिल अदा नहीं कर पाए तो 1.5 का सरचार्ज लिया जाएगा। जेई से जब इसके बारे में मेरे द्वारा जानकारी चाही गई तो उसने अपने बयान में कहा 2 दिन का समय दिया जा रहा है, पर उसकी लिखित कापी मैंने दिखाने को कहा तो वो असमर्थ दिखे और कह दिए कि हर बात लिखित में नहीं होती है। मैंने इसे विभाग की मनमानी कहा तो वो आग बबूला हो के विभाग से ही निकल कर चले गए। इनकी लापरवाही में हर महीने सरचार्ज का जो रोना रोया जा रहा है और उस सरचार्ज का बिल में 1.5 प्रतिशत जुड़ता है। इस प्रकार लगभग 800 पंडरिया के उपभोक्ता का औसत बिल 2000 रुपया महीना माना जाए तो हर महीने का 24,000 रुपया इस विभाग में किसके पास जा रहा है। यह बहुत गंभीर विषय है। इस मामले पर उच्चाधिकारियों के द्वारा गंभीरता से जांच कर आम जनता को हो रहे नुकसान से बचा कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।