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राजनंदगांव

पांच साल से बहिष्कार का दंश झेल रहे परिवार व ग्रामीणों के बीच हुई सुलह

ब्लाक के ग्राम कुम्ही का मामला, एसडीएम ने खत्म कराया बहिष्कार

राजनंदगांवJul 15, 2019 / 09:47 pm

Nakul Sinha

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हुई सुलह… बहिष्कृत परिवार ने एसडीएम से शिकायत की थी जिसके पश्चात एसडीएम गांव पहुंच कर बैठक कर समझौता कराया।

राजनांदगांव / खैरागढ़. ब्लाक के ग्राम कुम्ही में ग्रामवासियों से पांच साल से गांव बहिष्कार का दंश झेल रहे पीडि़त परिवार को एसडीएम सीपी बघेल की समझाइश के बाद आखिरकार न्याय मिला। प्रशासन की तत्परता के चलते गांव वालों ने एसडीएम की समझाइश के बाद आखिरकार पीडि़त परिवार का बहिष्कार खत्म कर दिया। ग्रामीणों के साथ पीडि़त परिवार ने भी एसडीएम बघेल का आभार जताते अब गांव और समाज हित मे कार्य करने की बात कही। इस दौरान एसडीएम बघेल सहित पंचायत निरीक्षक सीडी दुबे, प्रवीण नायक, सरपंच प्रेमा बाई साहू, सचिव भागवत साहू सहित पूर्व सरपंच, ग्राम पटेल, कोटवार और ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
पांच साल से बहिष्कृत था परिवार
कुम्ही गांव के पार्वती साहू पति नवलू साहू का परिवार पांच साल से गांव से बहिष्कृत था। इस दौरान गांव में होने वाले किसी भी कार्यक्रम में आवाजाही पूरी तरह प्रतिबंधित थी, तो दूसरी ओर पार्वती के घर किसी कार्य में गांव वाले शामिल नही होते थे। पांच साल से बहिष्कार का दंश झेल रहे साहू परिवार ने एसडीएम सीपी बघेल को आवेदन देकर बहिष्कार खत्म कराने की मांग की थी। बताया गया कि बहिष्कृत परिवार द्वारा गांव और समाज के रीतिरिवाज को नही मानने को लेकर परिवार को बहिष्कृत किया गया था। एसडीएम सीपी बघेल ने आवेदन पर कार्रवाई और जांच प्रक्रिया कराने के बाद शनिवार शाम को कुम्ही पहुंचे थे। यहां पीडि़त परिवार और ग्रामीणों के बीच पंचायत भवन में बैठक का आयोजन कर कार्रवाई और समझाइश की प्रक्रिया शुरू कराई गई। आखिरकार एसडीएम ने ग्रामीणों और पीडि़त पक्षों को समझाइश देकर साहू परिवार को बहिष्कार खत्म कराया।
रीति रिवाज का होगा पालन, लिया निर्णय
एसडीएम बघेल की समझाइश के बाद आखिरकार ग्रामीणों ने साहू परिवार को गांव और समाज के रीतिरिवाज का पालन करने की शर्तो पर उसका बहिष्कार खत्म कराया। पंचनामें की कार्रवाई के बाद बहिष्कृत नवलू दास ने भी गांव के रिवाजों का पूर्ण पालन, सौहार्द्रपूर्ण वातावरण एवं व्यवहार बनाए रखने का भरोसा दिलाया जिसके बाद ग्रामीण सहमत हो गए। आखिर में सभी ने एकमत से पार्वती और नवलूदास को समाज में शामिल कर लिया।

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