उल्लेखनीय है कि वर्तमान सरकार कर्ज माफी २५०० रू. समर्थन मूल्य दो सालों का बोनस एवं अन्य वादाकर सत्ता में भारी बहुमल से सत्ता में आई। आते ही ऋण माफी की घोषणा की गई एवं किसानों द्वारा लिंकिंग में जमा की गई राशि भी वापस हुई। किसान खुश हुए। सरकार को वाहवाही भी मिली, किन्तु जब किसान पुन: खाद बीज लेने जब सोसाइटी पहुंचे, तो २०१७ का कर्ज ब्याज सहित जमा करने कहा गया एवं जमा करने के बाद ही खाद बीज-ऋण दिया गया और जो किसान ऐसा नहीं कर पाए उन्हें आज तक ऋण सुविधा नहीं दी गई है।
वहीं राष्ट्रीयकृत २० से अधिक बैंकों के किसानों का ऋण माफी की पूरी राशि अभी तक नहीं दी गई है, जिससे किसानों पर ब्याज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, ऊपर से बैंक ऋण चुकता करने दबाव भी बना रहे हैं। और निजी बैंक के किसानों का १ रुपए भी कर्ज माफी नहीं हुआ है। अत: आधे-अधूरे कर्ज माफी की जगह सम्पूर्ण कर्ज माफी मांग को लेकर किसान आंदोलन की राह पर हैं।
साथ ही अगस्त तक काफी कम बारिश से फसल बुरी तरह प्रभावित हुई। बाद में सितम्बर में अच्छी बारिश के बावजूद काफी बड़ी क्षेत्र की फसल खराब हो गई, परन्तु शासन-प्रशासन स्थिति को सामान्य मानकर चल रहा लगता है और कोई भी हरकत नहीं हो रही है। लिहाजा किसान अपनी बर्बाद फसल का मुआवजा चाहते हैं। वहीं दो सालों का बोनस देने का वादा भी करके वर्तमान सरकार सत्ता में आई है। किसान आज आर्थिक तंगी में हैं, ऐसे में सरकार से दो सालों का बोनस भुगतान कर किसानों को राहत के साथ अपना चुनावी वादा पूरा कर सकती है।
ये है किसानों की पीड़ा
धान बेचने के दौरान कई किसानों ने २०१७ का ऋण भी जमा करा दिया था जिसे सरकार ने वापस किया फिर बाद में उसी राशि को ब्याज सहित वसूला जब वसूली करनी ही थी, तो जमा राशि वापस कर वाहवाही लूटने की क्या जरूरत थी। ऊपर से ब्याज का बोझ अलग से किसान के सर मढ़ दिया।
रैली के दौरान अन्य मुद्दे भी उठेंगे
सहकारी समितियों के संचालक मंडल को समय पूर्व भंग करने का विरोध किया जाएगा। किसानों को राजस्व रिकार्ड आनलाइन दुरस्त कराने में काफी परेशानी हो रही है। इससे समय सीमा में सभी किसानों का पंजीयन नहीं हो पाएगा। यदि पुराने पंजीयन से खरीदी नहीं होगा तो सभी किसानों से धान खरीदी नहीं हो पाएगी।