भूमि की 1977 में हुई थी रजिस्ट्री
आयुर्वेद चिकित्सालय के लिए 42 वर्ष पूर्व 25 अगस्त 1977 में तत्कालीन मुख्य निष्पादन अधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने आयुर्वेद विभाग उदयपुर के डिप्टी डायरेक्टर के नाम दानपत्र रजिस्ट्री की थी।
मंदिर मंडल खाली करवाना चाहते है भूमि!
जानकारों की माने तो मंदिर मंडल यह भूमि अब खाली करवाना चाहता है, इसलिए बार-बार निर्माण कार्य में अडंगा लगाया जा रहा है। मंदिर मंडल द्वारा पूर्व में इस भवन को स्थानांतरित करवाने के लिए सरकार को पत्र भी भेजा गया था।
अ श्रेणी के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय निर्माण एवं मरम्मत के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में 61.64 लाख रुपए की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति जारी की थी। लेकिन विभाग की कछुवाचाल के चलते २ वर्ष बीत जाने के बाद भी दस फीसदी भी काम नहीं हुआ है। जबकि अबतक काम पूरा हो जाना चाहिए था।
यह है मामला
सात वर्ष पूर्व लोक निर्माण विभाग ने नाथद्वारा के आयुर्वेद चिकित्सालय को अनुपयोगी घोषित कर दिया। जिससे आयुर्वेद विभाग ने इसके जीर्णोद्धार
का के लिए बजट स्वीकृत कर काम करवाने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग को दिया। इसके बाद विभाग ने कछुवाचाल से काम शुरू किया तथा कई बार इसकाम को रूकवा दिया गया, जिसके चलते आजतक काम पूरा नहीं हुआ है।
परेशान हो रहे मरीज
आयुर्वेद चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. ललित उपाध्याय ने बताया कि करीब एक वर्ष से यह अस्पताल मरीजों के लिए बंद जैसा ही है, निर्माण कार्य होने से यहां मरीज देखने आदि की सुविधा नहीं है। बस स्टॉफ मात्र आता है। ऐसे में नाथद्वारा के मरीजों को आयुर्वेद चिकित्सालय होते हुए भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।