यह एक अत्यधिक संक्रामक और घातक पशु रोग है, जो घरेलू तथा जंगली सूअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से शूकर तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीडि़त होते हैं। इसके साथ ही अवसाद, एनोरेक्सिया, भूख न लगना, त्वचा में रक्तस्राव, उल्टी और दस्त भी होते हैं। इसमें शूकर की मृत्यु दर शत-प्रतिशत है। एक संक्रमित शूकर से दूसरे शूकर में तेजी से फैलती है। मृत्यु 3 से 10 दिन में हो जाती है।
लाइलाज बीमारी, यूथेनिशिया दे रहे मौत
अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक लाइलाज और बेहद तेजी से फैलने वाली बीमारी है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है इसीलिए संक्रमित शूकर के एक किलोमीटर क्षेत्र में सभी शूकर प्रजाति के पशुओं को मानवीय तरीके से मारना पड़ता है। इसे यूथेनेसिया कहा जाता है। इसमें शूकर को बेहोशी का इंजेक्शन दिया जाता है और फिर उसके दिल को पंचर कर उसमें दवाई इंजेक्ट की जाती है, इससे पशु बिना दर्द के मर जाता है।
यह मिलेगा मुआवजा
सरकार की ओर से अफ्रीकन स्वाइन फीवर से मृत्यु होने पर मुआवजा दिया जाएगा। इसमें 0 से 15 किलो के शूकर की मौत पर 2200 रुपए, 15 से 40 किलोग्राम के शूकर के 5800, 40 से 70 किलोग्राम के 8400 रुपए, 70 से 100 किलोग्राम के 12 हजार और 100 किलोग्राम से अधिक शूकर के 15 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।0
स्वाइन फीवर रोकने के लिए कर रहे प्रयास
जिले के गिलूण्ड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस मिले हैं। यहां पर अब तक 57 शूकरों की यूथेनिशिया किया है। इसके लिए टीम का गठन भी किया गया है। इनके मालिकों को मुआवजा के लिए प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजे जा रहे हैं। शूकर पालकों को भी पाबंद किया गया है।
– डॉ. अजय अरोड़ा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग राजसमंद