राजसमंद में पार्टी के नेता व कार्यकर्ता पहले से दो धड़ों में बंटे हुए हैं। एक धड़ा गुलाबचंद कटारिया का है, जबकि दूसरा किरण माहेश्वरी का है। कटारिया व वसुंधरा राजे के पक्ष में भी अलग अलग कार्यकर्ता, नेता बंटे हुए हैं। गजेंद्रसिंह, दीया कुमारी व नागौर के भंवरसिंह पलाड़ा के नामों पर नेता एकमत नहीं हो पाए। इसी वजह से अब पार्टी द्वारा अलग से सर्वे कराया जा रहा है।
हरिओमसिंह राठौड़ के चुनाव लडऩे से इनकार करने के बाद राजसमंद सीट सामान्य होने से जातिगत समीकरण को लेकर भी खींचतान हो रही है। पहले राजपूत सीट थी, जिससे दोबारा राजपूत उम्मीदवार उतारने के प्रयास हैं। वहीं कांगे्रस द्वारा इस बार पूर्व मंत्री लक्ष्मणसिंह रावत को मैदान में उतारने से रावत समाज के वोटो में धु्रवीकरण होने की आशंका पर पार्टी स्तर पर मंथन चल रहा है।
किरण माहेश्वरी, भंवरसिंह पलाड़ा, वीमदेवसिंह जैसास, प्रमोद सामर, गजपालसिंह राठौड़, जगतनारायण जोशी, हरिसिंह रावत, कानजी का खेड़ा, आमेट के चन्द्रभानसिंह सोलंकी सहित पाली, राजसमंद के आधा दर्जन अन्य कार्यकर्ता शामिल है।
स्थानीय व बाहरी प्रत्याशी को लेकर कार्यकर्ताओं में मतभेद है, तो उसमें सुलह कराएंगे। हाईकमान का निर्णय सर्वोपरि रहेगा, जो सर्वमान्य है। फिर भी पैनल में जो भी नाम आए हैं, जिस पर ग्राउंड स्तर पर सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे में जो भी सामने आएगा, उसी आधार पर प्रत्याशी पर निर्णय होगा।
विरेंद्र पुरोहित, जिलाध्यक्ष भाजपा