पैकिंग की खाद्य सामग्री भी संदेह में
गत दिवस चिकित्सा विभाग ने शहर की एक दुकान में कार्रवाई की। यहां से अलवर पाक के पैकट व अहमदाबाद की बर्फी नाम से बिक रहा मावा जब्त किया। जिसमें पैकिंग संबंधी कई खामिया थीं। इसीतरह बाजार में स्वीट हलवा के नाम से बिकने वाली मिठाई के पैकेट में भी कई खामियां मिली है। पैकट में इसकी प्रिंट रेट 800 रुपए लिखी है, बाजार में यह 350 रुपए में बेची जा रही है। टीम के अनुसार यह पैकट दुकानदार को महज 120 रुपए में पड़ता है, क्योंकि इसमें इस्तेमाल किए जा रहे खाद्य पदार्थों को पैकेट में गलत तरीके से दर्शाया गया है, इसके रेटों में इतना अंतर होना भी इसकी गुणवत्ता की खामी को दिखाता है। इसी तरह बाजार से सिंथेटिक मावा भी जब्त किया गया है।
गत दिवस चिकित्सा विभाग ने शहर की एक दुकान में कार्रवाई की। यहां से अलवर पाक के पैकट व अहमदाबाद की बर्फी नाम से बिक रहा मावा जब्त किया। जिसमें पैकिंग संबंधी कई खामिया थीं। इसीतरह बाजार में स्वीट हलवा के नाम से बिकने वाली मिठाई के पैकेट में भी कई खामियां मिली है। पैकट में इसकी प्रिंट रेट 800 रुपए लिखी है, बाजार में यह 350 रुपए में बेची जा रही है। टीम के अनुसार यह पैकट दुकानदार को महज 120 रुपए में पड़ता है, क्योंकि इसमें इस्तेमाल किए जा रहे खाद्य पदार्थों को पैकेट में गलत तरीके से दर्शाया गया है, इसके रेटों में इतना अंतर होना भी इसकी गुणवत्ता की खामी को दिखाता है। इसी तरह बाजार से सिंथेटिक मावा भी जब्त किया गया है।
मिलावट में सजा का प्रावधान
खाद्य निरीक्षक के अनुसार टीम जो सैम्पल लेती है उसके परिणाम तीन तरह सबस्टैंडर्ड, मिस ब्रांड व अनसेफ में आते हैं। सबस्टैडर्ड व मिस ब्रांड में ऐसे खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं जिनकी पैंकिंग में खामियां हों, पैंकिंग के ऊपर दर्ज खाद्य सामग्री के गुणवत्ता में कमी आदि हो। इसमें सैंपल फेल होने पर 10 से 20 हजार रुपए के जुर्माने का नियम हैं। जबकि अगर खाद्य सामग्री टेस्ट में अनसेफ साबित होती है तो उस पर सजा का प्रावधन है। गौरतबल है कि गत वर्ष चिकित्सा विभाग की टीम ने राजनगर हाइवे पर निजी बस से जो मावा पकड़ा था उसमें कुुछ मावा टेस्ट में अनसेफ साबित हुआ है।
खाद्य निरीक्षक के अनुसार टीम जो सैम्पल लेती है उसके परिणाम तीन तरह सबस्टैंडर्ड, मिस ब्रांड व अनसेफ में आते हैं। सबस्टैडर्ड व मिस ब्रांड में ऐसे खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं जिनकी पैंकिंग में खामियां हों, पैंकिंग के ऊपर दर्ज खाद्य सामग्री के गुणवत्ता में कमी आदि हो। इसमें सैंपल फेल होने पर 10 से 20 हजार रुपए के जुर्माने का नियम हैं। जबकि अगर खाद्य सामग्री टेस्ट में अनसेफ साबित होती है तो उस पर सजा का प्रावधन है। गौरतबल है कि गत वर्ष चिकित्सा विभाग की टीम ने राजनगर हाइवे पर निजी बस से जो मावा पकड़ा था उसमें कुुछ मावा टेस्ट में अनसेफ साबित हुआ है।
बाजार से लिए गए नमूनों में 30 फीसदी से ज्यादा नूमने फेल हुए हैं। बाजार की खुली मिठाइयों के अलावा कई पैक प्रोडक्ट भी संदेह पर हैं, उन्हें सीज कर सैम्पल जांच के लिए भेजे हैं।
-श्रीराम मिश्रा, खाद्य निरीक्षक, राजसमंद
-श्रीराम मिश्रा, खाद्य निरीक्षक, राजसमंद