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राजसमंद

आ कोरोना मुझे मार !

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राजसमंदJul 06, 2020 / 09:48 am

Rakesh Gandhi

आ कोरोना मुझे मार !

आ कोरोना मुझे मार !

राकेश गांधी

अभी भी अवसर है संभलने का। अभी नहीं संभले तो आगे और मुश्किल होगा। लॉकडाउन की सख्ती के बाद शुरू हुए अनलॉक में आमजन ज्यादा लापरवाह हुआ है। वे शायद ये भूल गए जब कांकरोली में पहला पॉजिटिव आया था, तब पूरा शहर सन्न रह गया था। लोगों ने कई दिनों तक घर की चौखट के बाहर कदम नहीं रखा। यहां के लोगों के अनुशासन के चलते एक लम्बे समय तक ग्रीन जोन में रहने वाला ये जिला उस समय संक्रमण की चपेट में आना शुरू ही हुआ था। अब तो हालात ऐसे नजर आने लगे हैं जैसे कोरोना नाम का कोई खौफ मन में नहीं रहा, जबकि ये वायरस इस समय भयानक रूप में सामने आ रहा है। बाजारों में जमकर लापरवाही बरती जा रही है। जिला प्रशासन भी आगाह करते-करते थक चुका है। भीम, आमेट, देवगढ़ के बाद अब तक बचे रेलमगरा व नाथद्वारा कस्बे भी कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं।

लापरवाही की पराकाष्ठा देखें, अब सेनेटाइजर का उपयोग भी कहीं-कहीं ही दिखाई देता है। कार्यालय में लगी सेनेटाइजर मशीनें प्राय: बंद हो चुकी है। मास्क नाक से उतर कर गले तक लटक गए हैं। किसी को न खुद की फिक्र है और न अपने परिजन की। खुले नाक-मुंह के लोग बाहर घूम रहे हैं और फिर उसी हालात में अपने परिवारजनों के साथ बिना नहाए-धोए घुलमिल रहे हैं। ये कोरोना वायरस को खुला निमंत्रण नहीं है तो क्या है? रविवार की रिपोर्ट से हैरान होने की जरूरत कतई नहीं है। ये तो होना ही था। किसी भी बैंक अथवा इस तरह के कॉॅपरेटिव सासाइटी के कार्यालय में चले जाएं। कोई आपको सख्ती से कहने वाला नहीं है कि आप सेनेटाइजर से हाथ साफ कर लें या मास्क को सही से लगा लें। कहें भी क्यों? अब प्राय: ये कहते-कहते सभी थक चुके हैं। उकता चुके हैं। सुरक्षा की जिम्मेदारी तो अब स्वयं अपनी है। हम क्यों किसी के कहने का इंतजार करें।

कई बार लोगों को भीड़ में ऐसा भी कहते देखा है, ‘ये कोरोना क्या तुम्हे ही होना है क्या, मास्क उतार कर बात कर, सही सुनाई नहीं दे रहा।’ ऐसा कहने वाले खुद के साथ-साथ दूसरों को भी जोखिम में डाल रहे हैं। रविवार की रिपोर्ट में एक कॉपरेटिव सोसाइटी में 11 लोगों का एक साथ पॉजिटिव आना इस शहर के लिए बड़ी चेेतावनी है। सब्जी ठेलों, मण्डियों, दुकानों, बैंकों व इस तरह की सोसाइटियों में भीड़भाड़ रहना इन दिनों आम बात हो गई है। अब कोई पुलिसकर्मी भी वहां आकर नहीं टोकते। यदि अभी भी नहीं संभले तो आने वाला समय राजसमंद जिले के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। ये शहर लॉकडाउन के दौरान बहुत ही अनुशासित रहा है। उस अनुशासन की एक बार फिर से जरूरत महसूस हो रही है, ताकि इस शहर को स्वस्थ व सुरक्षित रखा जा सके।
( rakesh.gandhi@epatrika.com )

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