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राजसमंद

राजसमंद को पूरी तरह नजरअंदाज किया

– ढंग की लॉलीपाप तक नहीं मिली, जिसका कुछ देर स्वाद लिया जा सके

राजसमंदFeb 21, 2020 / 01:52 pm

Rakesh Gandhi

राजसमंद को पूरी तरह नजरअंदाज किया

राजसमंद को पूरी तरह नजरअंदाज किया

राजसमंद. प्रदेश के इस बजट में राजसमंद को ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिसका जिक्र यहां किया जा सके। ये जिला पर्यटन के साथ-साथ धार्मिक महत्व का जिला है, जहां नाथद्वारा व द्वारकाधीश के महत्वपूर्ण मंदिर हैं। फिर भी इन तथ्यों को भी हमेशा की तरह नजरअंदाज किया गया। विधानसभा अध्यक्ष स्वयं इसी जिले से आते हैं, लेकिन इसका प्रभाव भी इस जिले को कोई लाभ नहीं दिला पाया। चम्बल का पानी भीम लाने का मसला काफी पुराना है। पिछले साल बजट में परीक्षण तो इस बार केवल डीपीआर जारी करने की घोषणा तक सीमित रखा गया। यहां केवल गोगुन्दा-माचिन्द-गांवगुड़ा-सांगठ सड़क मरम्मत की बात जरूर हुई है। इसके अलावा इस जिले को आदिवासी जिला होने के बावजूद भी नकार दिया गया। एक तरह से इस जिले को ढंग की लॉलीपाप भी नहीं दी गई, जिसका स्वाद कुछ देर तक लिया जा सके।
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मेवाड़ के साथ भेदभाव, राजसमंद खाली हाथ

– किरण माहेश्वरी, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं विधायक

राजस्थान के बजट में युवाओं और किसानों की अनदेखी की गई है। यह बजट मेवाड़ के साथ भेदभाव और जनता के साथ छलावा है। बजट में कृषि आय बढ़ाने, रोजगार बढ़ाने, राज्य में उद्योग एवं व्यवसाय को प्रोत्साहन देने की उपेक्षा की गई है। इससे राजस्थान विकास की दौड़ में फिसलता जा रहा है। पूर्व वर्ष में की गई बजट घोषणाओं की क्रियान्विति भी नहीं हो सकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य ठप पड़े हैं। जिला खनिज प्रतिष्ठान के सारे कार्य रोक दिए गए हैं। शिक्षा एवं स्वास्थ्य का ढांचा चरमरा रहा है, विधि व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है, किंतु सरकार ने इनमें सुधार लाने के लिए इच्छाशक्ति नहीं दर्शाई। राजस्थान में क्षेत्रीय असंतुलन एक बड़ी समस्या है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया है।
राजस्थान के बजट में समूचे मेवाड़ की भारी उपेक्षा की गई है। राजसमन्द जिले को कोई महत्व नहीं दिया गया है। एक भी विद्यालय क्रमोन्नत नहीं किया गया है। नई पंचायतों पर उच्च माध्यमिक विद्यालय की घोषणा नहीं की गई। नए हैण्डपम्प और सौर पम्प के प्रावधान नहीं है। गौरव पथ, सम्पर्क सड़क, मिसिंग लिंक सड़कों पर भी बजट में कुछ नहीं है। जिले की कई सड़कें क्षतिग्रस्त है, लेकिन केवल एक सड़क की मरम्मत की घोषणा की गई। एक भी नई सड़क नहीं दी गई है। नहरों के सुदृढ़ीकरण के लिए भी बजट नहीं दिया गया है। राजसमन्द के लिए कोई पेयजल योजना नहीं दी गई है। गत वर्ष के बजट में चम्बल से भीम पानी लाने के लिए परीक्षण की घोषणा की गई थी और इस बजट में परियोजना प्रतिवेदन बनाने की घोषणा की गई थी। यह समय निकालने का बहाना है। परीक्षण में एक साल, परियोजना प्रतिवेदन में एक साल, यह थोथी घोषणा एवं छलावे का उदाहरण है। गत वर्ष के बजट का भी मात्र 42 प्रतिशत ही व्यय किया गया। इस प्रकार बजट का महत्व ही नहीं रह जाता है।

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