कार्यकर्ताओं को थी सरकार में बड़े ओहदे की आस
हालांकि 11 दिस बर को मतगणना के दिन दोपहर में ही सीपी जयपुर रवाना हो गए थे। उसके बाद से न तो जनता का शुक्रिया अदा करने लौटे, न ही किसी आम कार्यक्रम में शामिल हुए। सरकार में बड़ा पद मिलने की कार्यकर्ताओं को आस थी, जो मंत्रिमण्डल गठन के वक्त टूट गई। सीपी को कोई पद नहीं मिलने पर कार्यकर्ताओं ने उनकी अनुपस्थिति में विरोध के सुर बुलंद किए। उन्हें राज्य में प्रचार समन्वय समिति का प्रभार भी सौंपा गया था, लेकिन जीत के लिए जोर आजमाइश करते हुए वह केवल नाथद्वारा तक ही सीमित हो गए थे।
सांसद की जि मेदारी ने भी रखा नाथद्वारा से दूर
सीपी ने 2009 में भीलवाड़ा से सांसद का चुनाव जीते, वहीं 2014 में जयपुर ग्रामीण से लोकसभा का चुनाव हार गए। पांच साल सांसद और केन्द्रीय मंत्री रहते हुए उनकी नाथद्वारा से दूरियां बनी रहीं। जयपुर सांसद सीट पर हार के बाद भी सीपी नाथद्वारा बहुत कम मौकों पर आए।
पार्टी कार्यकर्ताओं ने सीपी को विधानसभा अध्यक्ष बनाने पर खुशी तो जताई है, लेकिन दबे स्वर में यह भी स्वीकार करते हैं कि विकास कार्यों को गति देने में उनके हाथ तंग रहेंगे। बतौर मंत्री वह नाथद्वारा के लिए ज्यादा बेहतर साबित हो सकते थे। नाथद्वारा के पूर्व विधायक स्व. कल्याण सिंह चौहान अपने दूसरे कार्यकाल में ग भीर बीमारी के चलते अपेक्षित सक्रियता नहीं दिखा सके थे।
सुदर्शन सक्रिय, किरण का भी ठहराव कम
भीम विधायक सुदर्शन सिंह अपने इलाके में सबसे ज्यादा सक्रिय रहे। हालांकि उनका ज्यादातर वक्त जनता के बीच स्वागत-सत्कार में ही बीता। वह भीम और देवगढ़ पंचायत समिति की बैठकों में शामिल हुए। पूर्व मंत्री और राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी का पिछले कुछ समय से राजसमंद में ठहराव कम रहा। जीतने के बाद वह जनता के बीच गईं और किसान की आत्महत्या के मामले में विरोध-प्रदर्शन के लिए आगे आई थीं।
हमारे कार्यकर्ता धन्यवाद दे रहे हैं
मैं व्यस्तता के कारण अपने क्षेत्र में नहीं जा सका। हमारे कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर धन्यवाद दे रहे हैं। विकास को किस तरह गति दे सकते हैं, वहां आकर कार्यकर्ताओं से मिल-बैठकर चर्चा के बाद तय करेंगे।
डॉ. सीपी जोशी, विधानसभा अध्यक्ष