scriptजीतने के बाद ‘फील्ड’ से ‘गायब’ हैं सीपी जोशी | Cp joshi | Patrika News
राजसमंद

जीतने के बाद ‘फील्ड’ से ‘गायब’ हैं सीपी जोशी

विधानसभा अध्यक्ष का पदभार स भालने से और बढ़ सकती हैं व्यस्तताएं, 2008 में एक वोट से हारने के बाद बना ली थी नाथद्वारा से दूरियां

राजसमंदJan 17, 2019 / 07:38 pm

jitendra paliwal

Rajsamand Hindi news,Rajsamand local news,rajsamand latest news,

जीतने के बाद ‘फील्ड’ से ‘गायब’ हैं सीपी जोशी

जितेन्द्र पालीवाल @ राजसमंद. नए विधानसभा अध्यक्ष और नाथद्वारा विधायक डॉ. सीपी जोशी एक दशक बाद ‘घरेलू मैदानÓ पर जीतने में कामयाब तो रहे, मगर जनता को उनकी लगातार गैरमौजूदगी अखरने लगी है। चुनावी नतीजे आने के लगभग पांच सप्ताह बाद भी जोशी एक दिन भी अपने निर्वाचन क्षेत्र को नहीं दे सके। आम लोगों में चिंता इसलिए और बढ़ गई हैं कि नया संवैधानिक पद मिलने के बाद उनकी व्यस्तताओं में और इजाफा होगा। ऐसे में जनता के दर्द की सुनवाई कितनी होगी, यह सवाल भी उठने लगा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जोशी विधानसभा का आखिरी चुनाव अपने पर परागत निर्वाचन क्षेत्र नाथद्वारा से 2008 में लड़े थे। उन्हें भाजपा के कल्याण सिंह चौहान ने एक वोट से हराया था। इन दस सालों में उन्होंने नाथद्वारा से दूरी बनाए रखी। पार्टी ने दस साल बाद उन्हें विधानसभा चुनाव में फिर नाथद्वारा से टिकट दिया। सीपी ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के महेशप्रताप सिंह को 16 हजार 462 मतों से हराया। सीपी की जीत से दस साल से बेजान पड़ी कांग्रेस के कार्यकर्ता-समर्थकों में उत्साह छा गया था।

कार्यकर्ताओं को थी सरकार में बड़े ओहदे की आस
हालांकि 11 दिस बर को मतगणना के दिन दोपहर में ही सीपी जयपुर रवाना हो गए थे। उसके बाद से न तो जनता का शुक्रिया अदा करने लौटे, न ही किसी आम कार्यक्रम में शामिल हुए। सरकार में बड़ा पद मिलने की कार्यकर्ताओं को आस थी, जो मंत्रिमण्डल गठन के वक्त टूट गई। सीपी को कोई पद नहीं मिलने पर कार्यकर्ताओं ने उनकी अनुपस्थिति में विरोध के सुर बुलंद किए। उन्हें राज्य में प्रचार समन्वय समिति का प्रभार भी सौंपा गया था, लेकिन जीत के लिए जोर आजमाइश करते हुए वह केवल नाथद्वारा तक ही सीमित हो गए थे।

सांसद की जि मेदारी ने भी रखा नाथद्वारा से दूर
सीपी ने 2009 में भीलवाड़ा से सांसद का चुनाव जीते, वहीं 2014 में जयपुर ग्रामीण से लोकसभा का चुनाव हार गए। पांच साल सांसद और केन्द्रीय मंत्री रहते हुए उनकी नाथद्वारा से दूरियां बनी रहीं। जयपुर सांसद सीट पर हार के बाद भी सीपी नाथद्वारा बहुत कम मौकों पर आए।
नई जि मेदारी के मायने?
पार्टी कार्यकर्ताओं ने सीपी को विधानसभा अध्यक्ष बनाने पर खुशी तो जताई है, लेकिन दबे स्वर में यह भी स्वीकार करते हैं कि विकास कार्यों को गति देने में उनके हाथ तंग रहेंगे। बतौर मंत्री वह नाथद्वारा के लिए ज्यादा बेहतर साबित हो सकते थे। नाथद्वारा के पूर्व विधायक स्व. कल्याण सिंह चौहान अपने दूसरे कार्यकाल में ग भीर बीमारी के चलते अपेक्षित सक्रियता नहीं दिखा सके थे।

सुदर्शन सक्रिय, किरण का भी ठहराव कम
भीम विधायक सुदर्शन सिंह अपने इलाके में सबसे ज्यादा सक्रिय रहे। हालांकि उनका ज्यादातर वक्त जनता के बीच स्वागत-सत्कार में ही बीता। वह भीम और देवगढ़ पंचायत समिति की बैठकों में शामिल हुए। पूर्व मंत्री और राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी का पिछले कुछ समय से राजसमंद में ठहराव कम रहा। जीतने के बाद वह जनता के बीच गईं और किसान की आत्महत्या के मामले में विरोध-प्रदर्शन के लिए आगे आई थीं।

हमारे कार्यकर्ता धन्यवाद दे रहे हैं
मैं व्यस्तता के कारण अपने क्षेत्र में नहीं जा सका। हमारे कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर धन्यवाद दे रहे हैं। विकास को किस तरह गति दे सकते हैं, वहां आकर कार्यकर्ताओं से मिल-बैठकर चर्चा के बाद तय करेंगे।
डॉ. सीपी जोशी, विधानसभा अध्यक्ष

Home / Rajsamand / जीतने के बाद ‘फील्ड’ से ‘गायब’ हैं सीपी जोशी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो