पिछले साल अगस्त में मिली थी सैद्धांतिक स्वीकृति
पिछले साल 22 अगस्त, 2023 को एनटीसीए ने कुम्भलगढ़ बाघ संरक्षण परियोजना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। इसी अवधि में एनटीसीए की सिफारिश के बाद धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व को विशेषज्ञ समिति के परामर्श के बाद राज्य सरकार ने अधिसूचित कर दिया था, लेकिन कुम्भलगढ़ के मामले में तेजी नहीं दिखाई गई। इसके कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके पश्चात विधानसभा चुनाव और अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण भी इसे गति नहीं मिल पाई है। आगामी दिनों में आचार संहिता हटने पर इसके लिए फिर से प्रयास किए जाने चाहिए। राजस्थान के इस झील को भरने का काम चला गया ठंडे बस्ते में…पढ़े पूरी खबर विशेषज्ञ भी मानते हैं मुफीद
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि कुंभलगढ़ में आवास की बनावट, पानी की उपलब्धता, बाघिनों के लिए पर्याप्त प्रसवस्थल और लोगों का बाघों के साथ पुराना रिश्ता ऐसे कारक हैं, जो यहां बाघ लाने के लिए सकारात्मक माहौल बनाते हैं। यहां पर्यटकों की कोई कमी नहीं रहेगी। होटल, गाइड, वाहन संचालक, संरक्षणवादी स्वयंसेवी संस्थाएं, छोटे दुकानदार, होमस्टे से जुड़े स्थानीय बाशिन्दे और तमाम लोग इससे लाभान्वित होंगे। कुंभलगढ़ में बाघ लाने से यह मेवाड़ के गौरव में भी बढ़ोतरी करेगा। अमूमन यहां पर्यटक दो दिन ठहरते हैं, जो तीन से चार-दिन तक का हो जाएगा। शैक्षणिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
211 हैक्टैयेर में शाकाहारी वन्यप्राणियों का पुनर्वास केन्द्र
वन विभाग के जानकारों के अनुसार प्री-बेस (पूर्वाधार) बाधा को दूर करने के लिए सादड़ी के नजदीक मोडिया वनखण्ड में करीब 211 हैक्टेयर का शाकाहारी वन्यप्राणियों का रिहेबिलिटेशन और रिलोकेशन केन्द्र बनाया जा चुका है। उसमें प्री-बेस बढ़ाने का कार्य प्रगतिरत है। इसमें 40 चीतल, ब्लैकबग और चौसिंगा छोड़े गए हैं। इसी प्रकार अन्य स्थानों पर ही प्री-बेस बढ़ाने का काम किए जाने की आवश्यकता है।