खड़े रह गए ये सवाल
-फोरेन्सिक साइंस युनिट उदयपुर की जांच में पाया कि मौके पर माचिस की जली तिली मौजूद थी।
-निज तिबारी, जहां ठाकुरजी बिराजमान थे, परिस्थिति को देखते हुए आग लगना संभव नहीं था, जब तक कि कोई आग नहीं लगाए। इसके बारे में कोई स्पष्ट नहीं हुआ कि आग किसने लगाई थी?
– पराग कुमार, शिशिर कुमार के आरोप थे कि आग पीठाधीश ब्रजेश कुमार के बेटे वागिश कुमार द्वारा लगाई थी। उस आरोप की स्थिति स्पष्ट नहीं।
– प्रकरण में जिस पीठाधीश ब्रजेश कुमार व गोस्वामी वागिश कुमार पर आरोप लगे थे, उनके बयान नहीं लेना?
इनके बयान पंजीबद्ध
जांच में कपिल कुमार, शिशिर कुमार, पराग कुमार, नेमिष कुमार, रौनक पटेल, भगवतीलाल, गणेशलाल, कल्याणसिंह, मदनसिंह, शैतानसिंह, बंशीलाल, उपखंड अधिकारी राजेंद्र प्रसाद, पुलिस उप अधीक्षक ओम कुमार प्रदीप रेशम वाला, महेंद्र भाई, मितुल शाह, मोहन भाई, प्रवीण गुर्जर, रमेश सनाढ्य, मंदिर सुरक्षा प्रभारी मानसिंह चारण, कृष्णकांत, राकेश कुमार के बयान लेखबद्ध किए गए।
सीआईडी को दे दी रिपोर्ट
&प्रशासनिक जांच चल रही थी। तभी थाने में प्रकरण दर्ज हो गया। इसलिए हमारी जांच का औचित्य नहीं रह गया। इसलिए हमारे स्तर पर जो भी जांच की और जो जो भी तथ्य व दस्तावेज आए। वे सभी उदयपुर के सीआईडी सीबी को सौंप दिए। अग्रिम जांच उनके द्वारा ही की गई।
राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, उपखंड अधिकारी राजसमंद
अपील कर दी
सीआईडी सीबी व पुलिस द्वारा हमें सूचित किए बिना ही न्यायालय में प्रकरण में एफआर लगा दी। इस पर अपील पेश कर दी गई है। सभी तथ्यों की जांच ही नहीं की गई। जब शोर्ट सर्किट व प्राकृतिक कारण से आग नहीं लगी है, तो स्पष्ट है कि किसी ने लगाई और वहां कौन जा सकता है। यही तो जांच पुलिस को करनी थी।
गोस्वामी नेमिष कुमार, श्री द्वारकाधीश मंदिर