यह होगा काम
वनविभाग विभाग द्वारा राणा राजसिंह महल क्षेत्र का पर्यावरण और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विकास करवाया जा रहा है। इसके लिए महल को पर्यावरण चेतना केंद्र बनाया जाएगा, महल दो तल का है, भूतल और प्रथम तल पर तीन-तीन कमरें है, एक शिखर डोम सहित दो डोम हैं। केंद्र के सामने की भूमि को समतल कर ईको पार्क का निर्माण होगा, जहां पर्यटकों को बैठने की व्यवस्था की जाएगी।
निर्माण कार्य को हेरीटेज लुक देने के लिए सीमेंट का उपयोग नहीं करके चूना पत्थर, गुड़, मिट्टी आदि के मिश्रण को काम में लिया जा रहा है। साथ ही क्षतिग्रस्त दिवारों, पत्थरों और आकृतियों को उसी के अनुरूप विकसित किया जाएगा ताकि उसका हेरीटेजलुक बना रहे। जिस जगह नक्काशीदार पत्थर लगे हैं वहां उसी नक्काशी के पत्थर लगाए जाएंगे।
लगाए पांच हजार पौधे
राजनगर हाइवे से अन्नपूर्णा माता मंदिर के लिए बने रोड किनारे वनविभाग ने करीब पांच हजार पौधे लगाए हैं। साथ ही मंदिर परिसर के सामने भी पौधे रोपे गए हैं।
मनोहारी दृश्य के लिए लगेगी खिड़की
चेतना केंद्र के भूतल पर बने प्रथम कमरे से झील का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, ऐसे में जिर्णोद्धार के दौरान यहां एक खिड़की लगाई जाएगी ताकि पर्यटक इस दृश्य को देख सकें।
जय-विजय द्वार भी होंगे विकसित
जीर्ण-शीर्ण हो चुके जय-विजय द्वार को भी हेरीटेज लुक के साथ विकसित किया जाएगा। द्वार से प्रवेश करते ही मंदिर परिसर को पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें पौध रोपण के साथ ही लोगों के बैठने की भी व्यवस्था की जाएगी।
कैंटीन की भी होगी सुविधा
चेतना केंद्र के बगल में कैंटीन की भी व्यवस्था की जाएगी। ताकि आने वाले पर्यटकों को चाय-नाश्ता मुहैया हो सके। ईको पार्क में बैठक के लिए छतरीदार मेज-कुर्सियां लगाई जाएंगी।
जिर्णोद्धार को लेकर सोमवार को डीएफओ ने निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने ठेकेदार को दीवार के कुछ हिस्से में कांच लगाने तथा काम को शीघ्रता से पूर्ण करने के निर्देश दिए। अभी यह हुआ काम
महल के ऊपर वाले डोम का काम चल रहा है, क्षतिग्रस्त छत ढाली जा चुकी, दो कमरों में पत्थर घिसाई, चुनाई, चूना प्लास्टर का काम चल रहा है। ईको पार्क के लिए मिट्टी भराई हो चुकी है तथा कुछ पौधे भी लगाए जा चुके हैं।
पर्यावरण को मिलेगा बढ़ावा…
इस केंद्र को विकसित करने से जहां पर्यटन बढ़ेगा, वहीं पर्यावरण को भी बढ़ावा मिलेगा। केंद्र पैनोरमा की तर्ज पर ही विकसित हो रहा है, निर्माण कार्य में वैसी ही सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। काम पूरा होने में छह से सात माह लग सकते हैं।
-फतेहसिंह राठौड़, डीएफओ, राजसमंद