यह दर्दभरी दास्तांन है पसूंद निवासी मोहन (65) पुत्र माना रेगर की है। एक बेटा दयाराम हो ड्राइविंग करता है, जबकि दूसरा बेटा भैरूलाल शराब का आदी है, जो आए दिन वृद्ध से बदसलूकी व मारपीट तक को उतारू हो जाता है। परिजनों की इसी प्रताड़ता से आहत होकर वृद्ध सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केलवा पहुंच गया, जहां जो कोई व्यक्ति बिस्कीट, रोटी या जो भी खाने का कोई कुछ दे दें, तो खा लेता और वहीं कुर्सी पर सो जाता। भूख के चलते दिनोंदिन वृद्ध मोहन की हालत बिगड़ती गई, जो बीमार हालत में सोया रहा। इस पर केसरसिंह ने केलवा थाने में सूचना दी, तो थाना प्रभारी भगवान लाल खुद ही अस्पताल पहुंच गए।
डॉक्टर-नर्स का नहीं पसीजा दिल
बेसहारा वृद्ध बीमार हालत में दस दिन से अस्पताल परिसर में पड़ा (सोया) रहा, जहां न पंखा था न ही सोने के लिए बिस्तर। पत्थर की बे्रंच पर कम्बल सिरहाने देकर सोया वृद्ध का पेट सिकुड़ गया, पसलियां दिखने लग गई। वृद्ध की गंभीर हालत देखकर भी किसी डॉक्टर व नर्स का दिल नहीं पसीजा और किसी ने सुध तक नहीं ली।