देलवाड़ा, कालीवास, बिलोता, नेगडिय़ा, शिशवी, घोड़च, नेड़च, केसूली, करोली, लालमादड़ी, सेमल, उपली ओडन, मंडियाना, सालोर, पाखण्ड व उथनोल। खत्म नहीं हुई खमनोर पर निर्भरता
देलवाड़ा पंचायत समिति गठन के बाद उम्मीद बंधी थी कि अब 25 किलोमीटर दूर जाने और आवागमन की असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। सोलह पंचायतों के निवासियों और कार्मिकों को आज भी पेंशन, मनरेगा और लोक कल्याणकारी योजनाओं के सिलसिले में खमनोर तक दौड़ लगानी पड़ती है।
– पंचायत समिति में विकास अधिकारी कार्यालय
– मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी
– ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी
– महिला एवं बाल विकास अधिकारी समझ से परे है प्रशासनिक अनदेखी
कस्बे में भवन की समस्या भी नहीं है। पुराना भू-संरक्षण भवन खाली पड़ा है। कुण्ड चौराहे पर उच्च प्राथमिक विद्यालय भवन भी उपलब्ध है, जहां अस्थायी कार्यालय चलाया जा सकता है। ग्राम पंचायत ने थाना परिसर के पीछे कांटिया पहाड़ी पर दो बीघा आबादी भूमि पंचायत समिति के लिए आरक्षित की है। उसके पास सात बीघा चरनोट भूमि के रूपांतरण के लिए जिला कलक्टर को आवेदन कर रखा है। जमीन तक जाने का अभी मुकम्मल रास्ता भी नहीं है।
17 नवम्बर, 2019 को हुई थी देलवाड़ा पंचायत समिति की घोषणा
323 दिन गुजरने के बाद भी जमीन पर नहीं उतरा वजूद
41 ग्राम पंचायतें थीं खमनोर में, अब 16 शामिल होंगी देलवाड़ा में — बोले देलवाड़ा के लोग—
जैसे छोटे से कमरे में उपतहसील का संचालन हुआ था, उसी तरह एक बार अस्थायी भवन में कार्यालय शुरू होना चाहिए, ताकि लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए परेशान नहीं होना। देलवाड़ा में काफी सरकारी जगह खाली पड़ी है।
प्रवीण पालीवाल, कस्बावासी
भंवरी बाई गमेती, दाङ़मी कोठार वाला, नेड़च पंचायत
प्रतापी बाई गमेती, निवासी कोठार वाला
भंवरलाल डांगी, बिलोता, चाय दुकानदार
केसूलाल भील, मजेरा