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विधानसभाध्यक्ष के ‘घर’ में पंचायत समिति का तमगा नया, तस्वीर वही पुरानी

देलवाड़ा को कागजों में दर्जा : 11 महीने पहले खमनोर पंचायत समिति को तोड़कर बनाई थी नई पंचायत समिति
 
 

राजसमंदOct 18, 2020 / 11:44 pm

jitendra paliwal

विधानसभाध्यक्ष के 'घर' में पंचायत समिति का तमगा नया, तस्वीर वही पुरानी

विधानसभाध्यक्ष के ‘घर’ में पंचायत समिति का तमगा नया, तस्वीर वही पुरानी

देलवाड़ा. तहसील मुख्यालय, देलवाड़ा को पंचायत समिति का नर्या दर्जा मिला तो सही, मगर वह कागजों से जमीन पर नहीं उतरा है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी के गृह व निर्वाचन क्षेत्र में नई पंचायत समिति स्थापित करने की प्रक्रिया में 11 महीने में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। ऐसे में इलाके के लोगों ने जो ख्वाब देखे, वे अधूरे ही हैं।
गत वर्ष 17 नवम्बर को जब खमनोर पंचायत समिति का विभाजन कर देलवाड़ा में नई पंचायत समिति गठित करने का आदेश जारी हुआ था, समूचे देलवाड़ा क्षेत्र में दिवाली सी खुशियां मनाई गई थीं। लोगों ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर सरकार के फैसले का स्वागत किया। यह घोषणा अब भी कागजों में ही है।
सरकारी आदेशों में, चाहे जिला कलक्टर के हों या उपखण्ड अधिकारी के आदेश हों, प्रतिलिपियों में देलवाड़ा पंचायत समिति के नाम से अलग से कोई आदेश जारी नहीं होते हैं। अभी भी खमनोर ही देलवाड़ा क्षेत्र की पंचायत समिति बनी हुई है। विकास अधिकारी का न तो अब तक पद सृजित हुआ है, और न ही कार्यभार सौंपने का कोई आदेश हुआ है। पंचायत समिति की घोषणा का श्रेय लोगों ने क्षेत्रीय विधायक और विधानसभाध्यक्ष सीपी जोशी को दिया था।
ये पंचायतें देलवाड़ा में हुईं शुमार
देलवाड़ा, कालीवास, बिलोता, नेगडिय़ा, शिशवी, घोड़च, नेड़च, केसूली, करोली, लालमादड़ी, सेमल, उपली ओडन, मंडियाना, सालोर, पाखण्ड व उथनोल।

खत्म नहीं हुई खमनोर पर निर्भरता
देलवाड़ा पंचायत समिति गठन के बाद उम्मीद बंधी थी कि अब 25 किलोमीटर दूर जाने और आवागमन की असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। सोलह पंचायतों के निवासियों और कार्मिकों को आज भी पेंशन, मनरेगा और लोक कल्याणकारी योजनाओं के सिलसिले में खमनोर तक दौड़ लगानी पड़ती है।
… इन दफ्तरों की भी खुलेगी राह
– पंचायत समिति में विकास अधिकारी कार्यालय
– मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी
– ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी
– महिला एवं बाल विकास अधिकारी

समझ से परे है प्रशासनिक अनदेखी
कस्बे में भवन की समस्या भी नहीं है। पुराना भू-संरक्षण भवन खाली पड़ा है। कुण्ड चौराहे पर उच्च प्राथमिक विद्यालय भवन भी उपलब्ध है, जहां अस्थायी कार्यालय चलाया जा सकता है। ग्राम पंचायत ने थाना परिसर के पीछे कांटिया पहाड़ी पर दो बीघा आबादी भूमि पंचायत समिति के लिए आरक्षित की है। उसके पास सात बीघा चरनोट भूमि के रूपांतरण के लिए जिला कलक्टर को आवेदन कर रखा है। जमीन तक जाने का अभी मुकम्मल रास्ता भी नहीं है।
—फैक्ट फाइल—
17 नवम्बर, 2019 को हुई थी देलवाड़ा पंचायत समिति की घोषणा
323 दिन गुजरने के बाद भी जमीन पर नहीं उतरा वजूद
41 ग्राम पंचायतें थीं खमनोर में, अब 16 शामिल होंगी देलवाड़ा में

— बोले देलवाड़ा के लोग—
जैसे छोटे से कमरे में उपतहसील का संचालन हुआ था, उसी तरह एक बार अस्थायी भवन में कार्यालय शुरू होना चाहिए, ताकि लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए परेशान नहीं होना। देलवाड़ा में काफी सरकारी जगह खाली पड़ी है।
प्रवीण पालीवाल, कस्बावासी
मूं विधवा हूं। एकली हूं। म्हारे उमर परवाणे पैंशन वद वाणी है। पंचायत में जावां तो काम नी वे। पंचायत समिति वाते देलवाड़े ओफिस होदा तो कटै लादे नी। देलवाड़ा में पूछां तो मनख खमनोर जावा वाते कैवे। अबै अतरी हरदा नी है क खमनोर जावां। न तो वटै जावा रो साधन न वटा रा भोंया हां।
भंवरी बाई गमेती, दाङ़मी कोठार वाला, नेड़च पंचायत
मूं हीतर साल री उमर में हूं और पैंशन वदावा वातै मूं खमनोर रा दो दाण चक्कर लगाया। अबै अणी उमर में अतरी दौड़ म्हाणा ऊं नी वे। आवा जावा में आकौ दन लागै, न सौ पचास किराया में परा उपड़े। देलवाड़ा में पंचायत रो ओफिस वै तो म्हारे जस्या बूढा मनखां ने गोता नी खाणा पड़े।
प्रतापी बाई गमेती, निवासी कोठार वाला
देलवाड़ा में आसपास पंचायत की काफी सारे लोग यहां आते हैं। इसी उम्मीद में कि अब हमें खमनोर नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि हमेशा ही वहां जाने के लिए लोगों के पास साधन नहीं होता है। बसें भी समय पर नहीं मिलती है। मैं हमेशा ही लोगों को परेशान और दुखी होते देखता हूं।
भंवरलाल डांगी, बिलोता, चाय दुकानदार
हम जैसे लोगों को छोटे-मोटे कामों के लिए खमनोर जाना पड़ता है। वहां काम अटक जाते हैं। कई उम्र दराज लोगों को भी जाना पड़ता है। छोटा-मोटा कमरा भी यहां पर खोल दिया जाए तो हमें भटकना नहीं पड़ेगा।
केसूलाल भील, मजेरा

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