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राजसमंद

राजस्थान के इस गांव में बेटियों के जन्म पर अनूठी परंपरा, कराई जाती है इतने रूपए की एफडी

Rajasthan News : राजस्थान के राजसमंद जिले में पिपलांत्री गांव का नाम तो आपने सुना ही होगा। ये गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ये पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन मॉडल गांव है। यहां बेटी और प्रकृति इस गांव की प्राथमिकता रही है। ये गांव मार्बल खदानों से घिरा है।

राजसमंदJun 03, 2024 / 09:09 am

Omprakash Dhaka

Pipalantri village birth of a girl child saplings are planted daughters environmental protection
मधुसूदन शर्मा

Rajsamand News : पिपलांत्री गांव का नाम तो आपने सुना ही होगा। ये गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ये पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन मॉडल गांव है। यहां बेटी और प्रकृति इस गांव की प्राथमिकता रही है। ये गांव मार्बल खदानों से घिरा है। लेकिन आज ये देश में अपनी अनूठी पहचान रखता है। जानकारी के अनुसार ये गांव राजसमंद जिले में आता है। जिसकी आबादी करीब सात हजार है।
आज आलम ये है कि यहां हर हाथ को काम मिला हुआ है और हर बेटी के लिए 31 हजार रूपए की एक एफडी यहां करवाई जाती है। ये गांव राजसमंद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर है। इस गांव में अन्ना हजारे यहां खुद आकर जा चुके हैं। इस गांव को लेकर कई किताबें लिखी जा चुकी है। इस पर कई डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बन चुकी है। इसके अलावा इस गांव से जुड़े प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जा चुके हैं।
Pipalantri village
राजसमंद.पिपलांत्री गांव में पेड़ के राखी बां​धती बेटियां।

समस्याओं से घिरा था ये गांव

ये गांव ऐसा था जहां हाथ रखों वही दर्द होता था। वर्ष 2005 से इस गांव के दिन फिरने शुरू हुए। उस साल पंचायत चुनाव में गांव के श्याम सुंदर पालीवाल सरपंच चुने गए। यहां पानी, बेरोजगार नौजवानों का भटकाव, सिंचाई के साधनों का आभाव, बंजर भूमि जैसी समस्याएं थीं। बच्चों के लिए शिक्षा का अभाव था। सरपंच बनने के बाद पालीवाल ने गांव में पानी समस्या दूर करने की ठानी। उन्होंने गांव के बेरोजगार युवाओं को लेकर बारिश का पानी एकत्रित करने के लिए करीब एक दर्जन स्थानों पर एनीकट बनवाए। पहाड़ों पर पौधे लगवाए। स्कूल की इमारते ठीक करवाई। देखते ही देखते गांव की तस्वीर बदल गई।

इस गांव में बहते हैं पानी के झरने

पालीवाल ने बताया कि यहां कभी जल स्तर 500 फुट की गहराई पर था। लेकिन आज यहां पानी के कई झरने बहते हैं। सरपंच ने खुद झाडू लेकर स्वच्छता पर काम शुरू किया तो देखते ही देखते लोग भी जुट गए और परिणाम ये निकला कि 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने पिपलांत्री को स्वच्छ ग्राम पंचायत के पुरस्कार से नवाजा।
Pipalantri village rajasthan
राजसमंद. पिपलांत्री गांव में हरियाली के बीच बहता पानी का झरना।

यहां लड़की के जन्म पर कराई जाती है 31 हजार रूपए की एफडी

पालीवाल ने गांव में लड़की के जन्म पर परिजनों की ओर से 111 पौधे लगाए जाने की योजना शुरू की। ये पौधे भी सरकारी जमीन पर लगाए जाते। इन पौधों की देखभाल भी वही परिवार करता। जब तक लड़की की शादी की उम्र होगी तब पौधे पेड़ बनकर तैयार हो जाएंगे। इन पेड़ों से होने वाली आय से लड़की की शादी की जाएगी। यही नहीं यहां किसी घर में होने पर भी उसकी स्मृति में पौधे लगाए जाते हैं।

इस योजना के पीछे ये है थीम

श्यामसुंदर पालीवाल ने बताया कि इस योजना के पीछे एक थीम है। जिसके आधार पर काम किया जाता है। बेटी बची, पानी बचा, पेड़ बचे, गोचर भूमि भी बची, वन्य जीवों को जीवनदान मिला, प्राकृतिक आधारित लोगों को रोजगार मिला और ग्राम पर्यटन को भी बढ़ावा मिला। इसी योजना के कारण आज ये गांव संपन्न है। इस वर्ष गांव में एक साल में जन्मीं 40 बेटियों के नाम से 111 पौधे रोपे लगाए और पेड़ोंं के राखिंया भी बांधी गई।

विदेश में पढ़ाई जाती है इस गांव की कहानी

पिपलांत्री गांव की कहानी विदेशों में पढ़ाई जाती है। डेनमार्क सरकार के लिए यह गांव किसी अजूबे से कम नहीं है। इस गांव की कहानी डेनमार्क के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई जाती है। डेनमार्क से मास मीडिया यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स यहां स्टडी करने आते हैं। इसके अलावा राजस्थान, असम, कनाडा, पश्चिम बंगाल भी इस गांव के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाता है।

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