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सांसद, दो विधायकों ने अफसरों को जमकर कोसा, कहा- योजनाएं बनाते हो, हमें पूछते तक नहीं, सिर्फ दस्तखत करने ही बुलाते क्या?

सात माह बाद हुई जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में अधिकारियों पर भड़कीं सांसद दीया, भाजपा विधायक दीप्ति और सुरेन्द्र भी रहे हमलावार

राजसमंदJun 03, 2023 / 12:01 pm

jitendra paliwal

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राजसमंद. जिला परिषद की करीब सात माह बाद हुई साधारण सभा की बैठक हंगामाखेज रही। सांसद दीया कुमारी, विधायक दीप्ति माहेश्वरी और सुरेन्द्र सिंह राठौड़ समेत कांग्रेस जनप्रतिनिधियों ने भी अफसरों पर जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने अधिकारियों पर जनता से जुड़े कामों के प्रस्ताव मनमर्जी से बनाने के आरोप जड़े और कहा कि हमें बैठकों में क्या सिर्फ इनके अनुमोदन और दस्तखत के लिए ही बुलाया जाता हैï? खासतौर से जलजीवन मिशन, जलसंचय योजना, मनरेगा के मुद्दों पर अधिकारियों को घेरा।
बैठक ११ बजे शुरू हुई और दो घंटे चली। अध्यक्षता जिला प्रमुख रतनी देवी जाट ने की। आधे घंटे बाद सांसद दीया कुमारी भी पहुंचीं। सांसद बैठक खत्म होने से एक घंटा पहले पहले ही रवाना हो गईं।
शुरुआत में ही सदस्य नरेन्द्र सिंह बागड़ी पंचायत समिति के कार्यों की स्वीकृतियों से उन्हें बेखबर रखने, ९ माह बाद बैठक होने और पिछली बैठक के मुद्दों पर चर्चा की बात कहते हुए बरस पड़े। वह एसीईओ भुवनेश्वर सिंह चौहान से बोले- आपके पास नियमावली है। आप ही बताइए, इन बैठकों का औचित्य क्या है? हम केवल समोसा खाने आते हैं क्या? उनका विधायक दीप्ति माहेश्वरी और उपजिला प्रमुख सोहनी देवी गुजल ने भी समर्थन किया। कुर्सी से खड़े होकर कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य लेहरूलाल अहीर भी बोल पड़े- एक साल में एक अधिकारी तक ने किसी काम के बारे में सम्पर्क नहीं किया। हर तीन माह में बैठक का प्रावधान, लेकिन होती नहीं। जिला परिषद के कामों की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृतियां नहीं निकलीं। बागड़ी फिर बोले- जेटीए, वीडीओ, बीडीओ को कहने के बावजूद २-३ साल तक कामों की वित्तीय स्वीकृतियां नहीं होतीं।
सीईओ ने पकड़ा माइक, दिए जवाब
एसीईओ चौहान और विभागीय अधिकारियों पर सदस्यों के लगातार सवालों की बौछारों के बीच नवनियुक्त सीईओ राहुल जैन ने माइक पकड़ते हुए एक-एक बिन्दु पर जवाब देकर संतुष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, कई बार विधानसभा व संसद सत्र चलने से बैठकें नियत अवधि में नहीं हो पातीं।
जल संचय योजना : विधायक बोलीं- जनता हमसे पूछती है, आप तो चले जाएंगे
जल संसाधन विभाग के अधिकारी द्वारा जल संचय योजना के प्रस्ताव पढ़ते ही विधायक माहेश्वरी बोलीं- राजसमंद पंचायत समिति के २३ गांव इसमें लिए, लेकिन जनप्रतिनिधियों को नहीं पूछा। जनता और उनके प्रतिनिधियों से पूछकर प्रस्ताव-डीपीआर बनाएं। लोग आपको नहीं पूछेंगे। आप तबादले कराकर चले जाएंगे। जीतावास में एनिकट की जरूरत बताते हुए माहेश्वरी ने कहा कि उन्होंने और कपासन एमएलए ने प्रस्ताव दिया, लेकिन गौण कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि कामों की लोकेशन चिह्नित करने के नियम भी फील्ड में जाते वक्त अधिकारी एमएलए, जिला परिषद सदस्य, प्रधान, पंचायत समिति सदस्यों को बताएं, ताकि सही सुझाव दे सकें।
हमसे पूछे बिना इतनी बड़ी योजना बना दी, इसे रिवाइज करो- सांसद
सांसद दीया कुमारी ने भी नियमों की सूची, कार्य चिह्निकरण का आधार बताने को कहा। वह बोलीं- अधिकारियों ने जल संचय योजना और जलजीवन मिशन में इतनी बड़ी योजनाएं बना दीं, पूछा तक नहीं। सीईओ ने जब कहा कि जल्द ही राज्य स्तरीय बैठक में इनका अनुमोदन होना है, जिसमें राजसमंद रह जाएगा। सांसद ने नाराजगी जाते हुए कहा- ये प्रस्ताव एक माह में वापस बनाओ। कुम्भलगढ़ विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़ ने साफ कहा- हम इन पर साइन नहीं करेंगे। आपको भेजना है, सरकार को भेज दो। सदस्य लहरूलाल अहीर भी बोले, जिनका अनुमोदन करना है, उसकी कॉपी पांच दिन पहले हमें दी जाए। एसीईओ ने १० दिन बाद इसी मुद्दे पर अनुमोदन के लिए फिर बैठक करने की बात कही।
दीप्ति और लेहरूलाल में नोक-झोंक
मनरेगा में मानव दिवस को लेकर विधायक दीप्ति अधिकारी से सवाल-जवाब कर रही थीं कि सदस्य लेहरूलाल द्वारा जवाब देने पर उन्हें टोक दिया। थोड़ी देर बाद एक अन्य बिन्दु पर चर्चा के दौरान विधायक बोलीं तो लेहरूलाल ने जिला प्रमुख की ओर इशारा करते हुए कहा, मैं आपकी इजाजत से बोल रहा हूं। अधिकारियों की ओर से जवाब देने का विधायक को अधिकार किसने दिया?
स्वागत के लिए गुलदस्ते, बोलने के लिए माइक बंद
सदन में मंचासीन सांसद व अन्य नेताओं के स्वागत के लिए जिला परिषद ने गुलदस्तों और उपरणों का इंतजाम किया, लेकिन माइक व्यवस्था खराब थी। सांसद बोलने लगीं, तो माइक चला ही नहीं। कुछ और भी लोगों के माइक पर आवाज खराब आ रही थी।
– मोदी-गहलोत का नाम लेने पर भिड़े, कसे तंज, छोड़ी फुलझडिय़ां
चुनावी साल का राजनीतिक रंग भी सदन में दिखा। विधायक राठौड़ ने यह कहकर चुटकी ली कि अब वो ३ साल पहले वाली बात नहीं रही, जब अधिकारियों में डर था। अब नहीं है। जवाब में लेहरूलाल अहीर बोले- यह रिपीट वाली सरकार है। फिर राठौड़ बोले- हम इस बहस में नहीं पड़ेंगे। विधायक आगे बोले- सत्ताधारी कांग्रेस के सदस्य को इतनी समस्याएं रखनी पड़ रही हैं। मैं इनकी बातों से सहमत हूं। इस स्थिति से खुद सरकार की पोल खुल रही है। इस पर अहीर उखड़ गए और बोले, ढाई साल बाद सांसद इस मीटिंग में आई हैं। उन्हें समय नहीं है। राठौड़ ने जवाब दिया, जलजीवन मिशन केन्द्र की योजना है, लेकिन कार्यान्वयन राज्य सरकार के अधिकारी करते हैं। इस बीच पीएम मोदी और सीएम गहलोत का नाम लेने पर दोनों सदन को राजनीतिक रंग नहीं देने की बात कहते हुए उलझते रहे। अक्सर मौन साधे रहने वालीं जिला प्रमुख अधिकारियों को लेकर बोल पड़ीं- आप लोग काम नहीं करते, इसलिए ये हालात बन गए हैं। हर जगह से शिकायत-समस्याएं आ रही हैं। नरेन्द्र बागड़ी ने तो यहां तक कह डाला कि यह निठल्ली ब्यूरोक्रेसी है। काम के प्रति निष्ठा ही नहीं है।
माहेश्वरी, बागड़ी और अहीर बोले, बाकी मौन
पूरी बैठक में ज्यादातर समय राजसमंद विधायक माहेश्वरी ने ही अधिकारियों से सवाल-जवाब किए। आधे घंटे के लिए रुकीं सांसद दीया कुमारी, कांग्रेस के लेहरूलाल, विधायक राठौड़, जिपस समुद्र सिंह चुण्डावत व तारा रावत ने भी बात रखी, लेकिन बाकी सदस्य मौन बैठे रहे।
ये मुद्दे भी गरमाए
– टेंकर से पेयजल जलापूर्तिकर्ता ठेकेदारों का २०१८ से अब तक करोड़ों का भुगतान बकाया है। केवल ८ लाख का पेमेंट हुआ। पीएचईडी पर सबसे भ्रष्ट होने के आरोप भी लगे। १५ मिनट तक सिर्फ इसी मुद्दे पर बहस हुई। राठौड़ ने ठेकेदारों को राहत शिविर में भेजने की हिदायत तक दे दी।
– छोटी बस्तियों में सोलर पनघट लगाने में १२ माह बाद भी कोई प्रगति नहीं।
– रेलमगरा क्षेत्र में जलजीवन मिशन की ७० योजनाओं में से सिर्फ १ कनेक्शन होने का आरोप। लेहरूलाल ने गहलोत सरकार की स्कीमों को फेल करने का आरोप जड़ा।
– अहीर ने आरके जिला अस्पताल के ट्रोमा डिपार्टमेंट में रेलमगरा क्षेत्र की घायल महिला के उपचार में लापरवाही से मौत होने का आरोप लेहरूलाल ने जड़ा और कहा कि अन्य मरीज ने ६ हजार रुपए दिए तो उसका इलाज पहले किया गया। सीईओ ने जांच कराने की बात कही।
– खान विभाग में बजरी की सुरक्षा में लगाए गार्डों पर ही माफिया से पैसा वसूली का आरोप लगा। खनि अभियंता ने कहा कि गार्ड बदल दिए हैं।
– हिन्दुस्तान जिंक में स्थानीय को रोजगार नहीं। जमीन, हवा, पानी यहां की खराब हो रही और रोजगार बाहरी लोगों को दिया जा रहा। सीएसआर का पैसा भी बाहर खर्च हो रहा।
– रावतों का खेड़ा के कूकड़ा में ग्रोनाइट खान के लीजधारी द्वारा ज्यादा एरिया में खनन।
– मोही-पीपली की १० किमी प्रस्तावित सड़क ८ किलोमीटर ही बनी। एसीबी से जांच की मांग।
– अस्पतालों में पसरी है बदइंतजामी। सदस्य बोले, जब तक सीएमएचओ-पीएमओ ऑफिस के लोग ही ठेके लेते रहेंगे, व्यवस्थाएं नहीं सुधरने वाली।

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