scriptनि:शुल्क उपचार: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बन रहा संजीवनी, जिले में अब तक 35 बच्चों को मिल चुका है लाभ | Rashtriya Bal Swasthya Karyakram (RBSK) is helpful for citizens, rajsamand | Patrika News
छतरपुर

नि:शुल्क उपचार: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बन रहा संजीवनी, जिले में अब तक 35 बच्चों को मिल चुका है लाभ

इस कार्यक्रम के तहत बच्चों के दिमाग, हृदय, हाथ-पैरों के टेढ़े-मेड़े होने, लकवाग्रस्त होने, मानसिक रूप से कमजोर एवं आंखों से कम दिखने जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के परिजन महज इसलिए उनके लाडलों को काल के गाल में समाते हुए देखते रह जाते हैं क्योंकि उनके पास बच्चे के ईलाज के लिए रुपए ही नहीं.

छतरपुरMay 06, 2017 / 01:00 pm

Ashish Joshi

 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केन्द्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों व आंगनवाड़ी पाठशालाओं में अध्ययनरत गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों के इलाज के लिए सहायता दी जाती है। जिले में सरकार की इस योजना के प्रति लोगों में विशेष जागरुकता के चलते अब तक ऐसे करीब 35 बच्चों को असमय काल का निवाला बनने से बचाया जा चुका है।
इस कार्यक्रम के तहत बच्चों के दिमाग, हृदय, हाथ-पैरों के टेढ़े-मेड़े होने, लकवाग्रस्त होने, मानसिक रूप से कमजोर एवं आंखों से कम दिखने जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के परिजन महज इसलिए उनके लाडलों को काल के गाल में समाते हुए देखते रह जाते हैं क्योंकि उनके पास बच्चे के ईलाज के लिए रुपए ही नहीं होते। 
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लेकिन अब इस तरह के बच्चों के लिए सरकार का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम संजीवनी साबित हो रहा है। क्षेत्र के इस तरह की गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों का आरबीएसके की टीम द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। इसके माध्यम से बच्चों की गंभीर बीमारियों की पूरी जानकारी ली जाती है।
इसके बाद बच्चों के परिजनों से टीम के चिकित्सक वार्ता कर संभाग के उच्च सुविधा युक्त निजी एवं राजकीय चिकित्सालयों में नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था करवाते हैं। वहीं, इस योजना के बिना अगर कोई परिवार अपने स्तर पर ईलाज करवाता है तो उन्हें 3 से 5 लाख रुपए तक का खर्च करना पड़ता है। इतना खर्च कर पाना गरीब परिवारों के लिए संभव नहीं हो पाता।यही कारण है कि आरबीएसके के तहत जुलाई 2016 से अप्रेल 2017 तक जिले के 35 बच्चों के ऑपरेशन इस योजना के तहत हो चुके हैं और कुछ का इलाज चल भी रहा है। 
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इनको मिला लाभ

केस 1.

नवलिया पग छापली निवासी 8 वर्षीय दिनेश पुत्र रणजीत सिंह के भी दिल में छेद था, जिसका गीतांजली मेडिकल कॉलेज उदयपुर में आरबीएसके की टीम द्वारा नि:शुल्क ऑपरेशन करवाया गया। 
केस 2. 

खेरावड़ी काछबली निवासी आशा सालवी के पैर मुड़े हुए थे।उसका उदयपुर के पेसिफिक मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क ऑपरेशन करवाया गया।

केस 3. 

बोरडी का खेत बोरवा निवासी 7 वर्षीय कुलदीप भी उसके हृदय में छेद होने से पीडि़त था। उसका भी गीतांजली मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क ऑपरेशन करवाया गया, जिसके बाद से वह पूरी तरह स्वस्थ है।

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