scriptVideo : मुर्गीपालन कर आत्मनिर्भर बनी ग्रामीण महिलाएं | Rural women become self-sufficient by raising poultry | Patrika News
राजसमंद

Video : मुर्गीपालन कर आत्मनिर्भर बनी ग्रामीण महिलाएं

– खमनोर ब्लॉक में 30 पंचायतों की 45 महिलाएं कमा रही माहवार 10 हजार रुपए

राजसमंदJun 27, 2020 / 02:37 pm

Rakesh Gandhi

Video : मुर्गीपालन कर आत्मनिर्भर बनी ग्रामीण महिलाएं

Video : मुर्गीपालन कर आत्मनिर्भर बनी ग्रामीण महिलाएं

गिरीश पालीवाल
खमनोर.
राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना (राजीविका) के प्रशिक्षण, प्रोत्साहन और आर्थिक संबल से ब्लॉक की विभिन्न पंचायतों में महिलाएं मुर्गीपालन कर आत्मनिर्भर बन रही है। वर्तमान में 45 महिलाएं मुर्गीपालन कार्य से जुड़ी हुई हैं। मुर्गी पालन कर वे हर माह औसतन 10 हजार रुपए कमा रही है। कोई महिला 20 हजार तक भी आय प्राप्त करने में सफल हुई हैं।
एक ओर कोरोना संकट के कारण बेरोजगारी का आलम है, वहीं दूसरी ओर ये महिलाएं मुर्गीपालन को स्वरोजगार बनाकर परिवार चलाने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। इस व्यवसाय से जुड़ी हुई महिलाएं न खुद ऐसा कर रही हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। राजीविका के ब्लॉक परियोजना अधिकारी अमित जोशी ने बताया कि ब्लॉक के बागोल, सेमा व कोठारिया क्लस्टर की करीब 30 पंचायतों में महिलाएं मुर्गीपालन में जुटी हुई हैं। बाकि बचे खमनोर व देलवाड़ा क्लस्टर की पंचायतों में भी इन दिनों महिलाओं को मुर्गी पालन से जोडऩे का कार्य किया जा रहा है। पंचायत समिति के बीडीओ अमित शर्मा ने भी कुछ सेंटरों का निरीक्षण कर आत्मनिर्भरता के इस अभियान की सराहना की।
ऐसे कर रहीं हैं मुर्गीपालन
राजीविका की ओर महिलाओं को मुर्गीपालन व्यवसाय के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए बैंक से ऋण दिलाने में राजीविका की टीम सहयोग करती है। ऋण से मिले पैसों से पिंजरा, चूजे, आहार, दाना-पानी के बर्तन आदि की खरीद कराकर व्यवसाय शुरू कराया जाता है। महिलाओं को प्रताप धन नामक नस्ल के चूजे दिलाए जा रहे हैं।
एक महिला को देते हैं 50 चूजे
शुरुआत में एक महिला को 10 हजार का ऋण मिलता है, जिससे एक पिंजरा, 50 चूजे व 50 किलो दाना खरीदती है। एक चूजा 40 रुपए में खरीदा जाता है। अच्छी देखभाल से 30-35 दिन में चूजा पूर्ण विकसित होकर मुर्गी का रूप ले लेता है। एक मुर्गी औसत पांच सौ से सात सौ रुपए तक की कीमत दे देती है। अगर मुर्गी पालक अंडे भी बेचे तो 20 रुपए प्रति अंडा मिल सकता है।
ऐसे होती है खरीद व बिक्री
राजीविका के समन्वय से महिलाओं को चूजे उपलब्ध कराए जाते हैं। महिलाएं प्रतिदिन सुबह-शाम दाना-पानी देती हैं। महीनाभर में चूजे बड़े होकर जब मुर्गी बन जाती है तो स्थानीय खरीदारों को उचित दाम में बेच दिया जाता है। कभी-कभार स्थानीय स्तर पर बिक्री में मंदी होने पर राजीविका के माध्यम से बाहरी खरीदारों को सुलभ करवाया जाता है।
केस -1
आराधना क्लस्टर बागोल की टामी बाई ने समूह से साढ़े सात हजार का ऋण लेकर 50 चूजे व दाना, बर्तन आदि खरीदे। टामी बाई ने एक माह में मुर्गियों से 20 हजार व अंडों से पांच हजार अतिरिक्त सहित कुल 25 हजार की आय प्राप्त की।
केस -2
मादरेचों का गुड़ा निवासी निर्मल कुंवर ने समूह से पांच हजार का ऋण लेकर 50 चूजे और सभी जरूरी सामान खरीदा। एक माह में चूजों से बनी मुर्गियां बेचकर 28 हजार रुपए की आय प्राप्त की।

Home / Rajsamand / Video : मुर्गीपालन कर आत्मनिर्भर बनी ग्रामीण महिलाएं

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो