नदी से बजरी खनन पर सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के पूर्व यहां खनन के लिए लीज होती थी। उस समय एक नियम बना हुआ था कि बजरी निकालने के बाद जो गडढ़़ा हो जाता है उसे बजरी की लीज लेने वाले ठेकेदार को पुन: पत्थरों आदि से पाटना होता था। इससे बजरी के खनन के बाद भी नदी का स्वरूप नहीं बिगड़ता और उसका पेटा एक समान रहता था। लेकिन, वर्तमान में अवैध खनन के चलते बजरी माफिया ने नदी के स्वरूप को पूरी तरह बिगाड़ दिया है।
किसानों को भी भुगतना पड़ेगा नुकसान
नदी के आसपास के क्षेत्र के खेत मालिकों का कहना है कि बनास नदी में जो बदहाल स्थिति बनी हुई है इसका खामियाजा उन्हें आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा। जिनके कुओं में पानी का जो सेजा नदी की वजह से बना रहता है, वो कम हो जाएगा एवं मानसून के जाने के बाद जो कुओं से खेतों में खड़ी फसल को पिलाई हो जाती है वो नहीं हो पायेगी। उनका मानना है कि बनास नदी की सुरक्षा एवं संरक्षण को लेकर सरकार के नुमाईंदों के द्वारा प्रभावी रूप से कार्यवाही नहीं करने से इसकी स्थिति दिनोंदिन बिगड़ रही है। इससे क्षेत्र के पर्यावरण के साथ भूजल स्तर पर भी काफी असर पड़ेगा।
घाट पर वाहनों की धुलाई भी
युवाओं ने बताया कि बनास नदी के गणगौर घाट पर हालात यह है कि यहां पर कई लोग अपनी कार-जीप सहित अन्य वाहनों को लेकर पहुंच जातें हैं और उनकी धुलाई यहां पर करते हैं। इसके लिये नगर पालिका प्रशासन को भी अवगत कराया गया तो उनके द्वारा बेरीकेड बनवाकर लगाए गए। परंतु, लोग उन बेरीकेड का भी तोड़ निकालते हुए वाहनों को लेकर पहुंच जाते हैं। इससे घाट पर बदहाल स्थिति बनी रहती है। हालांकि, अभी तो नदी में पानी नहीं है, जिसके चलते वाहन चालक नहीं आ रहे लेकिन, जैसे ही नदी में पानी आयेगा तो यहां फिर पूर्ववत स्थिति हो जायेगी।