पत्रिका टीम ने गुरुवार शाम को शहर के चौपाटी, जेके रोड, सहित शहर की कई दुकानों में बिक्री के लिए रखी बे्रड देखी, इस दौरान कई पैकट ऐसे सामने आए जिनमें कोई तिथि नहीं पड़ी थी। साथ ही पाव के पैकटों में भी तिथि नहीं पाई गई। इसी तरह कई अन्य खाद्य सामग्रियों के पैकटों में रैपर संबंधी कई तरह की खामियां मिली।
ब्रेड की सामान्यता बिक्री का समय तीन चार दिन तक ही रहता है। ऐसे में रैपर में तिथि लिखी होने पर ग्राहक अधिक दिन पुरानी ब्रेड नहीं खरीदते। जिससे कम्पनी कई पैकटों में तिथि दर्ज ही नहीं करती ऐसे में ग्राहक और दुकानदारों दोनों को उसकी उत्पादन की तिथि नहीं पता होती और ग्राहक उसे ताजी समझकर खरीद लेता है। बाद में खराब निकलने पर मजबूरन ग्राहक को ब्रेड फेकनी पड़ती है।
कम्पनियों द्वारा सही निर्माण की सही तिथि अंकित न करना जुर्माने के प्रावधानों में आता है। खाद्य पदार्थ नियमों की बिक्री के लिए बने नियमों के अनुसार ऐसी लापरवाही तीन तरह सबस्टैंडर्ड, मिस ब्रांड व अनसेफ में आते हैं। सबस्टैडर्ड व मिस ब्रांड में ऐसे खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं जिनकी पैंकिंग में खामियां हों, पैंकिंग के ऊपर दर्ज खाद्य सामग्री के गुणवत्ता में कमी, तिथि सही नहीं लिखी हो या तिथि लिखी ही नहीं गई हो आदि। इसमें सैंपल फेल होने पर १० से २० हजार रुपए के जुर्माने का नियम हैं। जबकि अगर खाद्य सामग्री टेस्ट में अनसेफ साबित होती है तो उस पर सजा का प्रावधान है।
ऐसे खाद्य पदार्थों की बिक्री पर नियंत्रण रखने के लिए चिकित्सा विभाग की खाद्य निरीक्षक टीम कार्रवाईकरती है, लेकिन दीपावली के बाद से विभाग की टीम ने कार्रवाई नहीं की, जिससे कम्पनियां बेखौफ होकर ऐसी खाद्य सामग्री की बाजार में खुलेआम बिक्री कर रही हैं।
कार्रवाई करवाएंगे…
बिना तिथि लिखे खाद्य सामग्री को बाजार में नहीं उतारा जा सकता। अगर कम्पनी ऐसे उत्पाद बेंच रही है तो इसका पता लगवाकर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. पंकज गौड़, सीएमएचओ, राजसमंद