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राजसमंद

जर्दा-गुटखा की जमकर कालाबाजारी

– मुंह मांगा दाम देने को विवश नशे की लत वाले

राजसमंदMay 23, 2020 / 08:29 am

Rakesh Gandhi

जर्दा-गुटखा की जमकर कालाबाजारी

जर्दा-गुटखा की जमकर कालाबाजारी

राकेश गांधी
राजसमंद. पहले से लेकर चौथे लॉकडाउन तक जर्दा व गुटखा पूरी तरह प्रतिबंधित है, पर हालात इसके बिल्कुल अलग है। जर्दा व गुटखे की जमकर कालाबाजारी हो रही है। जो पकड़े जा रहे हैं वो एक-दो प्रतिशत भी नहीं है, बल्कि हर गली-मोहल्ले से लेकर गांव-कस्बों में इसकी जमकर कालाबाजारी हो रही है। एक तरह से पुलिस व प्रशासन की नाक के नीचे करोड़ों रुपए का ये धंधा चल रहा है। इस धंधे से जुड़े लोगों ने चोर रास्ते व ठिकाने तक बना लिए हैं। कुछ लोग रास्तों में हाथ में थैले लिए खड़े मिल जाएंगे।
जिला मुख्यालय पर पान की दुकानों के आसपास व सब्जी मंडी क्षेत्र में कुछ व्यवसायी ये गोरखधंधा कर रहे हैं। हालात ये हैं कि 5-10 रुपए का जर्दा-गुटखा 25 से 70 रुपए तक बिक रहा है। ये ही नहीं बीड़ी सिगरेट के भी ये ही हाल है। एक सामान्य बीड़ी का पैकेट भी चार से छह गुना दाम में बिक रहा है। नशे व लत की वजह आम नागरिक ये सामान महंगा खरीदने को मजबूर हैं। शहर में ये काम छुप-छुप कर चल रहा है। पत्रिका संवाददाता ने एक ऐसे ही व्यापारी से पूछा तो उन्होंने बताया कि ये तो पहले लॉकडाउन से ही चल रहा है। ये धंधा करने वाले व दूसरे भी इनसे खरीद कर होम डिलीवरी तक रहे हैं। ये स्थिति केवल शहर तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि गावों-कस्बों तक ये कालाबाजारी हो रही है। कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में कई नए लोग भी इसमें जुड़ गए हैं। नाथद्वारा के हाल तो जिला मुख्यालय से भी बुरे हैं, जहां जमकर जर्दा-गुटखा की होम डिलीवरी चल रही है। सबसे बड़ी बात, चूंकि ये सब कालाबाजारी में हो रहा है तो बिल का झंझट भी इन थोक विक्रेता का नहीं रहता। इस तरह के सरकार को भी करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है।
घरों में हो रहा ‘भण्डारण’
अब तक एक-दो पाउच खरीदने वाले भी महिनों का जुगाड़ करने में लगे हैं। जिला प्रशासन ने सभी तरह के जर्दा-गुटखा पर पाबंदी लगा रखी है, ऐसे में लोगों को लगता है कि ये पाबंदी निकट भविष्य में नहीं हटने वाली, ऐसे में लोग बड़ी मात्रा में और मुंह मांगे दाम पर खरीदने में लगे हैं। चौपाटी, सब्जी मंडी व जल चक्की तथा राजनगर क्षेत्र में पुलिस जाब्ते के आसपास ये काम होता देखा जा सकता है।
इस संबंध में एक फुटकर विक्रेता से हुई बातचीत
सवाल – कहां से लाते हो ये जर्दा-गुटखा?
जवाब – किसी भी थोक विक्रेता के यहां से ले आते हैं। सभी अपने तय ठिकानों से दे रहे हैं।
सवाल – कितना पैसा ज्यादा पैसे ले रहे हैं?
जवाब – साब, हम तो क्या ले रहे हैं, ले तो थोक व्यापारी रहे हैं। पांच रुपए का पाउच तीस से चालीस रुपए भी ले लेते हैं। जैसी स्थिति, वैसा पैसा। अभी तो कुछ डाउन हुआ है।
सवाल – कितना माल एक साथ मिल सकता है?
जवाब – लो जितना सुलभ है। पर थोक विक्रेता ज्यादा माल दिखाता नहीं है। वो एक-एक कार्टून ही देगा। हालांकि बाहर बड़ी मात्रा में सप्लाई हो रहा है।
सवाल – बीडी-सिगरेट की क्या स्थिति है?
जवाब – साब, बीड़ी की तो बात ही छोड़ो। बहुत महंगा मिल रहा है बीड़ी का पैकेट। बीड़ी के 20 बंडल की शीट जो पहले 360 रुपए में मिल जाती थी, अभी कोई 1000 रुपए ले रहा है तो कोई 1200 रुपए भी मांग रहा है। बहुत खराब स्थिति है साब। बीच में ये भाव 1800 रुपए भी पहुंचे थे।
सवाल – गांव में भी ये ही हाल हैं?
जवाब – बिल्कुल, गांव में भी इसी दाम पर मिल रहे हैं। आखिर माल तो इन्हीं थोक विक्रेता के यहां से रहा है।

सवाल – ये थोक विक्रेता जिला मुख्यालय के पास कहां है?
जवाब – ये ही बस स्टेण्ड के पास हैं।
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