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रामगढ़

कोरोना की भ्रान्तियों का खामियाजा भुगत रहा है यह पुजारी परिवार

(Jharkhand News ) कोरोना के आतंक के साथ कितनी जबरदस्त भ्रान्तियां व्याप्त ( Corona’s fallacies ) हैं, ऐसी ही भ्रान्ति का खामियाजा एक निर्दोष पुजारी परिवार को उठाना पड़ा। पुजारी की कोरोना से मौत (Corona death, suffer familiy ) के बाद परिवार के अन्य सदस्यों को जबरन कोरोना संक्रमित मानते हुए प्रताडि़त किया गया। पीडि़त परिवार ने 36 घंटे किसी डरावने सपने (Scary dream) की तरह बिताए।

रामगढ़Aug 03, 2020 / 04:29 pm

Yogendra Yogi

कोरोना की भ्रान्तियों का खामियाजा भुगत रहा है यह पुजारी परिवार

कोरोना की भ्रान्तियों का खामियाजा भुगत रहा है यह पुजारी परिवार

रामगढ़ (झारखंड): (Jharkhand News ) कोरोना के आतंक के साथ कितनी जबरदस्त भ्रान्तियां व्याप्त ( Corona’s fallacies ) हैं, ऐसी ही भ्रान्ति का खामियाजा एक निर्दोष पुजारी परिवार को उठाना पड़ा। पुजारी की कोरोना से मौत (Corona death, suffer familiy ) के बाद मानो पूरे परिवार की शामत आ गई। परिवार के अन्य सदस्यों को जबरन कोरोना संक्रमित मानते हुए प्रताडि़त किया गया। पूरे परिवार के साथ लोगों ने ऐसा बर्ताव किया मानो उन्होंने कोई भारी अपराध कर दिया हो। पीडि़त परिवार ने 36 घंटे किसी डरावने सपने (Scary dream) की तरह बिताए। हालात यह हो गए जो लोग मान-सम्मान से पेश आते थे, वे ही हिकारत भरी नजरों से देखने लगे।

मारपीट पर उतारू लोग
बात यहीं तक खत्म नहीं हुई। पीडि़त परिवार की यंत्रणा इससे भी आगे बढ़ गई। हालात यह हो गए कि प्रशासनिक निर्णय से नाराज लोग मृतक के परिजनों से दुव्र्यवहार और मारपीट करने पर उतारू हो गए। प्रशासन की गंभीर लापरवाही का खामियाजा मृतक के परिवार को मानसिक और शारीरिक रूप से भुगतना पड़ा। शहर के रांची रोड के पुजारी सीताराम मिश्रा के मरने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि की। मिश्रा करीब 20 दिनों पूर्व बिहार से लौटे थे। चार-पांच दिन पहले उनकी तबीयत बिगड़ी तो उन्होंने निजी स्तर पर इलाज शुरू कराया। इसके बाद थायरोकेयर से एहतियात के तौर पर कोरोना जांच कराई। रिपोर्ट निगेटिव आई। इसी बीच 30 जुलाई की शाम उनका निधन हो गया।

प्रशासन की लापरवाही
परिवार के लोग अंतिम संस्कार की तैयारी करने में जुटे थे। इसी बीच उन्हें अस्पताल से धमकी भरा फोन आना शुरू हो गया। कहा गया कि 31 जुलाई की सुबह पहले आपके मृतक पिता की जांच होगी, उसके बाद ही आप लोग अंतिम संस्कार कर सकते हैं। शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे मृतक की जांच की गई। बताया गया कि एक घंटे में रिपोर्ट आ जाएगी। शाम करीब चार बजे बताया गया कि आपके पिता की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। प्रशासनिक तौर पर शव के अंतिम संस्कार की तैयारी हुई।

प्रशासन ने नहीं सुनी
प्रशासन की ओर से बताया गया कि उनके पिता को दफनाया जाएगा। साथ ही कहा गया कि अस्पताल की ओर से पांच लोग मौजूद रहेंगे। वे लोग ही शव को दफनाएंगे। रात्रि करीब साढ़े नौ बजे जैसे ही शव को वाहन से इफिको के जंगल में ले जाया जाने लगा, इसी बीच लोगों ने उन्हें घेर लिया। लोग उन्हें उनके भाई और बहनोई को मारने-पीटने पर उतारू हो गए। लोगों को ऐसा लग रहा था कि उन लोगों के कहने पर ही जंगल में शव को दफनाया जा रहा है। हालांकि इसी बीच पहुंची पुलिस टीम ने उन्हें बचाया। मृतक के पुत्र ने बताया कि अगर ऐसा था तो प्रशासन दफनाने की जगह शव का अग्निसंस्कार रांची में ही इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में करा देता। परेशानी अब भी समाप्त नहीं हुई। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पूरा परिवार भूखा रहा। वर्तमान में भी यही स्थिति है। घर में पैसे तो हैं, लेकिन घर का कोई सदस्य बाहर राशन लेने के लिए जाने से डर रहा है। प्रशासनिक स्तर से भी कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है। पूरा परिवार अब भी डरा सहमा है।

दफनाने का विरोध
उधर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि के बाद शव को जंगल में दफनाए जाने का विरोध शुरू हो गया है। रविवार को विभिन्न संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए तत्काल जिला प्रशासन से इस दिशा में कार्रवाई की मांग की है। साथ ही कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। इधर, पुजारी के पुत्रों ने भी शव को दफनाए जाने पर आपत्ति जताई है। स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की ओर से प्रोटोकॉल का हवाला देकर इस कृत्य को सही ठहराया गया।

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