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रामपुर

एनालिसिस: मुुलायम की सीट बचाने में कहीं सपा के हाथ से निकल न जाए आजम का गढ़

सपा मैनपुरी उपचुनाव में विरासत और रामपुर में आजम का गढ़ बचाने में जुटी है। मुलायम स‌िंह की सीट बचाने में कहीं सपा के हाथ से रामपुर विधानसभा सीट निकल न जाए…

रामपुरNov 28, 2022 / 03:20 pm

Upendra Singh

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रामपुर लोकसभा की तरह विधानसभा भी हाथ से निकल न जाए। सपा के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल के सपा प्रदेश अध्यक्ष को लिखे पत्र और आजम खान के प्रेस कॉन्फेंस में दिए बयान से ऐसा लग रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित 4 मंत्री और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री मैदान में उतर चुके हैं। जबकि सपा का एक भी बड़ा नेता रामपुर प्रचार करने के लिए अभी तक नहीं पहुंचे।
सपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने सपा प्रदेश अध्यक्ष को लिखी चिट्ठी
सपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल को सपा प्रदेश अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने रामपुर विधानसभा उप-चुनाव में प्रचार के लिए अखिलेश यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, एसटी हसन, जावेद अली खान, इकबाल महमूद, रफीक अंसारी, ओमकार सिंह यादव, वीरपाल सिंह यादव, नवाबजान, नासिर कुरैशी, फहीम इरफान, जियाउर्रहमान, समरपाल सिंह और लीलावती कुशवाहा को रामपुर भेजने का आग्रह किया है।
रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा के हाथ से निकल गई है। आजम खान के विधायक बनने के बाद रामपुर लोकसभा सीट खाली हो गई थी। जून 2022 में रामपुर लकसभा उप-चुनाव हुआ था। भाजपा से घनश्याम सिंह लोधी सपा के असीम रजा को हरा दिया था। यहां पर अखिलेश यादव ने प्रचार नहीं किया था। हार का यह भी एक कारण बताया गया था।
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आज रामपुर में‌ डिप्टी सीएम केशव का है जनसभा
रामपुर में आज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की जनसभा है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी भी पूरे दमखम के साथ लगे हुए हैं। उन्होंने बूथ अध्यक्षों से पूरी ताकत के साथ कमल खिलाने का आह्वान किया है। उन्होंने हर घर संपर्क करने और व्यवहार के साथ वोट कराने के टिप्स दिए हैं। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने आकाश सक्सेना को जिताने के लिए कार्यकर्ताओं व बूथ अध्यक्षों को मंत्र दिया है। भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तीन दिन रामपुर में रहकर प्रचार किया।
राज्यमंत्री बल्देव सिंह औलख, सांसद घनश्याम सिंह लोधी, जिला पंचायत अध्यक्ष ख्याली राम लोधी, उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ के अध्यक्ष सूर्य प्रकाश पाल, विधायक राजबाला, जिलाध्यक्ष अभय गुप्ता, पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना, भारत भूषण गुप्ता प्रचार में लगे हुए हैं।
आजम के करीबी बीजेपी में हो चुके हैं शामिल
इन सभी ने भाजपा प्रत्याशी के कृष्णा बिहार स्थित कार्यालय पर पहुंचकर आजम के करीबी फसाहत अली शानू, इरशाद महमूद, नवीन शर्मा, अमरपाल यादव, गुड्डू आदि समर्थकों को पार्टी में शामिल कर सपा को जोर का झटका भी दिया।
भाजपा को जीत घोषित कर दे चुनाव आयोग- आजम खान
आजम खाान शनिवार रात को रामपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था। उन्होंने कहा था, “अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और चंद्रशेखर के आने की सूचना है। वह यहां क्यों आ रहे हैं। जब यहां चुनाव ही नहीं हो रहा है। जब अखिलेश यादव यहां आएंगे तो हम उनसे आग्रह करेंगे कि वह चुनाव आयोग से निवेदन करें और भाजपा के उम्मीदवार को जीता हुआ घोषित कर दें।”
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मैनपुरी चुनाव प्रचार में जुटे अखिलेश यादव
मैनपुरी सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। इस लोकसभा में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें मैनपुरी जिले की चार और इटावा जिले की एक विधानसभा सीट है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव पहली बार 1996 में यहां से जीते थे। इसके बाद से कोई और पार्टी इस लोकसभा सीट से चुनाव नहीं जीत पाई है। सन् 1951-52 में पहली बार मैनपुरी में लोकसभा चुनाव हुए थे। उस समय मैनपुरी लोकसभा सीट का नाम मैनपुरी जिला पूर्व था।
‌सपा से डिंपल यादव मैनपुरी से लड़ रहीं चुनाव
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव मैनपुरी सीट से सांसद थे। उनके निधन के बाद यह सीट खाली हो गई है। अब सीट पर उपचुनाव हो रहा है। यहां से सपा से अखिलेश की पत्नी और मुलायम सिंह की बहू डिंपल यादव और भाजपा से रघुराज शाक्य मैदान में हैं। इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला माना जा रहा है। डिंपल यादव के प्रचार में अखिलेश यावद, धमेंद्र यादव और शिवपाल यादव सहित सपा के सभी बड़े नेता जुटे हुए हैं। अखिलेश के सामने अपने पिता की विरासत और आजम का गढ़ को बचाने की चुुुनौती है। दोनों ही सीट समाजवादी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है।
10 बार विधायक रह चुके हैं आजम खान
सपा नेता आजम खान को हेट स्पीच मामले में सजा होने के बाद रामपुर विधानसभा सीट खाली हो गई। अब इस सीट पर उप-चुनाव हो रहा है। 5 दिसबंर को मतदान होगा और 8 दिसबंर को रिजल्ट आएगा। यह सीट आमज खान का गढ़ माना जाता है, क्योंकि वह 10 बार इस सीट से विधायक रह चुुके हैं।
रामपुर विधानसभा सीट पर कभी नहीं खिला कमल
रामपुर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए सूखा सिद्ध हुई है। इस सीट पर 1951, 1962, 1969, 1974, 1977, 1996 में कांग्रेस, 1957 में निर्दलीय, 1967 में स्वतंत्र पार्टी, 1980 में जनता पार्टी सेक्यूलर, 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी और उसके बाद से सपा चुनाव जीतने में कामयाब रही है। बीजेपी का कमल कभी भी इस सीट पर नहीं खिला है।
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मैनपुरी लोकसभा सीट भाजपा एक बार भी नहीं जीत पाई
6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अस्तित्व में आई थी, तब समाजवादी पार्टी नहीं बनी थी। मैनपुरी लोकसभा सीट पर इसके बाद 1980, 1984 और 1989 के चुनाव में भाजपा ने प्रत्याशी ही नहीं उतारा। इसके बाद प्रत्याशी उतारने का सिलसिला शुरू हुआ तो भाजपा को हर बार मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मुंह की खानी पड़ी। 1996 से पहले तक जहां कांग्रेस व अन्य क्षेत्रीय पार्टी यहां से जीतती रहीं, तो वहीं 1996 के बाद ये सीट सपा का गढ़ बन गई। मुलायम सिंह यादव या उनके द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशी के आगे भाजपा को हार ही मिली।

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