तत्कालीन नबाब हामिद अली ख़ान अफ्रीका के एक हकीम को रामपुर लाए थे, उस हकीम से उन्होंने कहा कुछ विशेष तरह का हलवा बनाने के लिए कहा था। हामिद अली के आदेश का पालन करते हुए हकीम ने तमाम जड़ी बूटियों, मेवा मिष्ठान, समेत देसी घी से हलवा तैयार किया। जिसका नाम हब्शी हलवा रखा। नबाब हामिद अली खान को ये हलवा बहुत पसंद आया, उनकी पसंद की वजह से यह हलवा उनके शासनकाल में भी लोग बहुत पसंद करते थे और आज भी। जिले से लेकर तहसीलो तक हलवे की बड़ी बड़ी दुकानें हैं। रामपुर जो भी घूमने आता है यहां का हब्शी हलवा जरूर खरीद कर अपने घर ले जाता है। हलवे का स्वाद हलवे की ताकत को लेकर जिसने सुना, जिसने समझा और जाना उसने इस हलवे को खरीदा, और फिर निरंतर खरीदने के लिए रामपुर भी आया है। यही वजह है कि आज भी रामपुर में हिंदुस्तान के कोने कोने से इस हलवे को खरीदने के लिए लोग आते हैं।और हलवा खरीद कर अपने घर ले जाते हैं हलवे की खासियत है कि जिसकी जुबान पर एक बार उसका स्वाद लग जाए तो फिर वह हर हाल में इस हलवे को खरीदने के लिए रामपुर जरूर आएगा।