लायी गयीं अस्थियां
11 फरवरी 1948 को बापू की अस्थियां रामपुर लाई गई थीं। बापू की अस्थियों का कुछ हिस्सा कोसी नदी में विसर्जित कर दिया गया। शेष अस्थियों को चांदी के कलश में रखकर दफन कर दिया गया था। यहां पर आज शानदार गांधी समाधि है। गांधी समाधि को आधुनिक रूप सपा सरकार में दिया गया था। तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खान ने इसके सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रूपए मंजूर करवाए। या यूं कहें तो रामपुर की पहचान सा हो गया है।
इस तरह पहुंचे
रामपुर पहुंचने के लिए सड़क व रेल मार्ग दोनों है। ये दिल्ली से 239 किलोमीटर दूर है। बड़ी संख्या में उत्तर रेलवे की गाड़ियां उपलब्ध हैं। इसके साथ ही रोडवेज बस व प्राइवेट टैक्सी भी सुगमता असे उपलब्ध है। चूंकि रामपुर नबाबों द्वारा बसाया गया ऐतिहासिक शहर भी है। इसलिए इसकी ख़ूबसूरती को निहारने देश क्या विदेश से भी लोग आते हैं। तो गांधी समाधि जरुर आते हैं। अब ये एक पर्यटन स्थल के रूप में खूब निखर रहा है। सबसे ज्यादा रौनक 15 अगस्त,26 जनवरी और 2 अक्टूबर को देखने को मिलती थी।