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रांची

अर्जुन मुंडा को संयम व अनुभव का मिला तोहफा, मोदी के मंत्रीमंडल में बनाई जगह,यूं शुरू हुई थी राजनीतिक पारी

झारखंड में तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके अर्जुन मुंडा की गिनती राज्य के कद्दावर जनजातीय नेता के रूप में होती है…

रांचीMay 30, 2019 / 10:23 pm

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arjun munda

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(रांची): भाजपा और एनडीए दल के नेता नरेंद्र मोदी ने आज दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। प्रधानमंत्री ने अपनी टीम में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और खूंटी के सांसद अर्जुन मुंडा को शामिल किया है। झारखंड में तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके अर्जुन मुंडा की गिनती राज्य के कद्दावर जनजातीय नेता के रूप में होती है। हालांकि वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में खरसावां से अर्जुन मुंडा झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी से चुनाव हार गए थे और करीब साढ़े चार वर्षों से वे अपनी खोई हुई राजनीतिक प्रतिष्ठा को वापस हासिल करने के लिए लगातार प्रत्यानशील थे और खूंटी लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा को 1445 मतों से पराजित कर दूसरी बार सांसद पहुंचे थे। इससे पहले 2009 में भी अर्जुन मुंडा जमशेदपुर से सांसद निर्वाचित हो चुके हैं।


महज 35 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले अर्जुन मुंडा के नाम देश में सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है। स्वर्गीय गणेश मुंडा के पुत्र 5 जून 1968 को घोड़ाबाँधा जमशेदपुर में जन्में अर्जुन मुंडा पहली बार मार्च 2003 में बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सीएम बने थे। अर्जुन मुंडा फरवरी 2005 में झारखंड में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। मध्य वर्गीय परिवार से आनेवाले अर्जुन मुंडा एकीकृत बिहार में पहली बार 1995 में खरसावां विधानसभा से झामुमो टिकट पर निर्वाचित हुए और 2000 में दूसरी बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता। वर्ष 2005 में भी वे खरसावं से विजयी हुए, लेकिन वर्ष 2009 में भाजपा ने उन्हें जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। पार्टी के भरोसे पर अर्जुन मुंडा खरा उतरे और लगभग दो लाख मतों के अंतर से चुनाव जीते। 11 सितम्बर 2010 को वे तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और फिर से खरसावां उपचुनाव में जीत हासिल की। लेकिन 2014 के खरसावां विधानसभा चुनाव में वे हार गये।


अर्जुन मुंडा का राजनीतिक जीवन 1980 से शुरू हुआ। उस वक्त अलग झारखंड आंदोलन का दौर था। अर्जुन मुंडा ने राजनीतिक पारी की शुरूआत झारखंड मुक्ति मोर्चा से की। आंदोलन में सक्रिय रहते हुए अर्जुन मुंडा ने जनजातीय समुदायों और समाज के पिछड़े तबकों के उत्थान की कोशिश की। 1995 में वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार के रूप में खरसावां विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचे। बतौर भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी 2000 और 2005 के चुनावों में भी उन्होंने खरसावां से जीत हासिल की। वर्ष 2000 में अलग झारखंड राज्य का गठन होने के बाद अर्जुन मुंडा बाबूलाल मरांडी के कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्री बनाए गए। वर्ष 2003 में विरोध के कारण बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री के पद से हटना पड़ा। यहीं वक्त था कि एक मजबूत नेता के रूप में पहचान बना चुके अर्जुन मुंडा पर भारतीय जनता पार्टी आलाकमान की नजर गई। 18 मार्च 2003 को अर्जुन मुंडा झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री चुने गए। उसके बाद 12 मार्च 2005 को दुबारा उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन निर्दलीयों से समर्थन नहीं जुटा पाने के कारण उन्हें 14 मार्च 2006 को त्यागपत्र देना पड़ा. इसके बाद मुंडा झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अर्जुन मुंडा को खूंटी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और इस चुनाव में जीतने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल किया गया।

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