वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बाबूलाल मरांडी की हार हुई, लेकिन तब उनकी हार दुमका में झामुमो के कद्दावर नेता शिबू सोरेन के हाथों हुई थी, लेकिन इस बार बाबूलाल मरांडी अपने पैतृक जिले में बुरी तरह से हार गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के आठ विधायक चुनाव जीत कर आए, लेकिन वे पार्टी में एकजुटता कायम नहीं रख पाए और आठ में से छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए।
इधर, झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव को ज्यादा महत्व दिए जाने से नाराज पूर्व विधान पार्षद प्रवीण सिंह समेत कई नेता पार्टी से अलग हो गए। वहीं पार्टी के दूसरे विधायक प्रकाश राम की दूरियां भी बढ़ती गई। लोकसभा चुनाव में गोड्डा से प्रदीप यादव चुनाव लड़े, लेकिन ऐन चुनाव के मौके पर प्रदीप यादव पर पार्टी की ही एक महिला कार्यकर्त्ता ने छेड़खानी का आरोप लगाया। चुनाव समाप्त हो जाने के बाद बाबूलाल मरांडी ने प्रदीप यादव को त्यागपत्र देने का निर्देश दिया और प्रदीप यादव ने लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव के बीच भी दूरियां बढ़ने की चर्चा है, वहीं झाविमो के अन्य पदाधिकारियों ने भी सामूहिक त्यागपत्र दे दिया है और बाबूलाल मरांडी को फिर से नई कमेटी बनाने तथा आगमी विधानसभा चुनाव में तालमेल को लेकर फैसला लेने के लिए अधिकृत किया है।