बचने के लिए पहले गांव वालों ने रची कहानी
अंधविश्वास में चार लोगों की एक साथ हत्या किए जाने की जानकारी मिलने पर पुलिस अधीक्षक समेत अन्य वरीय अधिकारी मौके पर पहुंचे और अनुसंधान के क्रम में ग्रामीणों की ओर से यह बात सामने आई कि सभी लोग रात में घर में थे, इसी बीच 8 से 10 नकाबपोश लोग आए और इन चारों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। लेकिन पुलिस को ग्रामीणों की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। गांव के बीचो—बीच चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के संबंध में एक भी ग्रामीण प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं आए।
यह राज निकलकर आया सामने
पुलिस पूछताछ के लिए चार-पांच लोगों को थाने ले आई। गांव में कैंप कर खुद एसपी मामले की अनुसंधान कर रहे थे। अनुसंधान के क्रम में यह पता चला कि चारों झाड़—फूंक का काम करते थे। ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 15- 20 दिन पहले गांव में बीमारी से बोलो उरांव नामक लड़के की मृत्यु हो गई थी। गांव के कुछ दबंगों ने हवा उड़ा दी कि सुना भगत ने ही उस पर तंत्र—मंत्र करके मार दिया। इस कारण गांव में संकट आ गया है और प्रेत की रात में आवाज आती है। अंधविश्वास से ग्रसित सिसकारी गांव के लोगों ने गांव के पहान और पुजारी के नेतृत्व में गांव में बैठक हुई। बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार इसके अफवाह फैलाई गई कि गांव के सुना उरांव, चांपा उरांव, पीरी उरांव और फागुनी देवी जो गांव में झाड़-फूंक किया करते हैं, इनके द्वारा देवी स्थान में बकरा चढ़ा दिया गया है। इस वजह से गांव में संकट आया हुआ है। जिसके बाद 20-21 जुलाई की रात में गांव के कुछ लोगों ने इस अंधविश्वास पर विश्वास करके एक बैठक रखी और इन चारों को उनके घर से पकड़ कर लाए। जिसके बाद अखरा के पास लाठी—डंडे से बेरहमी से पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ने बताया कि प्रारंभ में ग्रामीणों के द्वारा बताया जा रहा था कि कुछ नकाबपोश अपराधियों के द्वारा घटना को अंजाम दिया गया है। पर जब पुलिस घटनास्थल पर गई थी, उसी समय यह साफ हो गया था कि यह अंधविश्वास में की गई हत्या है। गांव के ही लोग इसमें शामिल हैं।