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रांची

यहां खौफ के साए में काले और सफेद रंग की कारों के बीच है चुनावी मुकाबला

झारखंड का झरिया विधानसभा क्षेत्र दो तरफ से सुलग ( Jhariya seat is burning both sides ) रहा है। जमीन के नीचे बेशुमार धधकते कोयले से और दूसरा दो ताकतवर परिवारों के चुनावी मुकाबले से। यह मुकाबला चुनावी कम जंग ए मैदान का अधिक नजर ( Election became ground of battle ) आता है।
 
 

रांचीDec 14, 2019 / 06:06 pm

Yogendra Yogi

यहां खौफ के साए में काले और सफेद रंग की कारों के बीच है चुनावी मुकाबला

यहां खौफ के साए में काले और सफेद रंग की कारों के बीच है चुनावी मुकाबला

रांची(रवि सिन्हा): झारखंड का झरिया विधानसभा क्षेत्र दो तरफ से सुलग ( Jhariya seat is burning both sides ) रहा है। जमीन के नीचे बेशुमार धधकते कोयले से और दूसरा दो ताकतवर परिवारों के चुनावी मुकाबले से। यह मुकाबला चुनावी कम जंग ए मैदान का अधिक नजर ( Election became ground of battle ) आता है। इस चुनावी आग का खौफ मतदाताओं के प्रतिक्रियाविहिन चेहरों से साफ (Voters didn’t react due to fear) झलकता है। जैसे ही काली या सफेद रंग की कारों का ( Story of whit & black cars ) काफिला चुनावी क्षेत्रों से गुजरता है, अपने पीछे धूल के गुबार के साथ प्रत्याशियों की पहचान और एक दहशत छोड़ जाता है। मुकाबला है दो रंगों की कारों के काफिलों के बीच। इस सीट का इतिहास बाहुबलियों की ताकत के वर्चस्व की लड़ाई में रक्तरंजित भी रहा है।

दबंग परिवारों के बीच है मुकाबला
कोयलांचल के दोनों दबंग परिवारों का काफिला जैसे ही रघुकुल और सिंह मेंशन से बाहर निकलता है वैसे ही शहर वालों को खबर मिल जाती है कि किसकी गाडिय़ां । लाखों की कीमत की फॉर्चूय्नर, ऑडी जैसे काली-काली कारें जब धनबाद और झरिया की काली और धूल भरी सड़कों को रौंदती हुई चलती हैं तो पता चल जाता है की चुनावी मौसम में नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह चुनाव प्रचार के लिए बाहर निकल चुकी हैं । झरिया से कांग्रेस की प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह ने गाडिय़ों का रंग काला क्यों है और सिंह मेंशन सफेद कार के काफिले में चलता है इसे समझने के लिए समझना होगा दोनों परिवारों के बीच चल रहे युद्ध को ।

काली-सफेद कारों का है आतंक
चुनावी प्रचार में दोनों परिवार एक दूसरे पर सीधे हमला करने से बचते दिखते हैं । ना तो काली कार वाली पूर्णिमा सिंह ना ही सफेद कार वाली रागिनी सिंह पर सीधे-सीधे अटैक करती है और ना ही रागिनी सिंह पूर्णिमा पर । झरिया की तमाम गली कूचियों में चुनावी मौसम में सफेद और काली कारों का काफिला धूल उड़ाता उड़ रहा । सड़कों के दोनों किनारों पर लोग काफिले की काली खिड़कियों के अंदर झांकने की कोशिश करते हुए रागिनी सिंह और पूर्णिमा सिंह को पहचानने की कोशिश करते हैं । काली और सफेद कारों के काफिले का आंतक इतना है की वोटर्स तीसरे उम्मीदवार की चर्चा तक करते नजर नहीं आते ।


कारों का काला रंग शोक और सफेद बेदाग होने का
धनबाद की सियासत और दोनों परिवारों की रणनीति और राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले बताते हैं की पूर्णिमा सिंह अपनी काली कारों के जरिए झरिया के लोगों को बताने की कोशिश कर रही हैं की नीरज सिंह की हत्या के बाद पूरा परिवार आज भी शोक में है । काले रंग को शोक का प्रतीक बताते हुए परिवार का हर सदस्य काली कारों में चलता दिख रहा है । हांलाकि पूर्णिमा सिंह अपनी जनसभाओं में सधे शब्दों में इस चुनाव को बदले नहीं बदलाव का चुनाव करार देती है । इधर रागिनी सिंह की सफेद कारों का काफिला खुद को बेदाग होने का सबूत दे रहा हैं ।

नीरज हत्यकांड की जांच की मांग सीबीआई से
हांलाकि नीरज सिंह हत्याकांड में संजीव सिंह अभी जेल में बंद है मगर परिवार का मानना है की संजीव सिंह बेगुनाह है । भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह तो इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी करती हैं। बहरहाल सफेद और काली कारों का काफिला आज शाम पांच बजे तो चुनाव प्रचार करेगा और उसके बाद अपने धंधे में लग जाएंगे सिंह मेंशन और रघुकुल के लोग उनके समर्थक । 16 दिसंबर को वोट डाले जाएंगें और 23 दिसंबर को नतीजे आएंगे।

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