प्रदेश प्रवक्ता आलोक दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव, शमशेर आलम, राजीव रंजन प्रसाद व संजय पासवान ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि 5 जुलाई का बंद झारखंड बनने के बाद अब तक का सबसे जबरदस्त बन्द होगा। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के जमीन की रक्षा कांग्रेस करेगी। पहले भी की है और आगे भी हर कुर्बानी देकर करेंगे। बन्द को लेकर हर स्तर पर तैयारी की गई है। प्रखण्ड, पंचायत, जिला स्तर पर रणनीति बनाई गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने सभी संगठनों को सहयोग करने का आग्रह किया है। इस बाबत उन्होंने सभी संगठन को पत्र भी लिखा है। सभी जिला मुख्यालय पर 4 जुलाई को मशाल जुलूस निकाला जाएगा। बन्द के दिन कांग्रेस के कार्यकर्ता हर क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर सड़कों पर उतरेंगे। सरकार बड़े नेताओं को बंद के मद्देनजर टारगेट कर रही है, जो लोकतंत्र में सही नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ताओं ने बताया कि मोदी सरकार 2014 को केन्द्र में आयी तो यूपीए के भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को बदलने की कोशिश की परन्तु राहुल गांधी के नेतृत्व में देशव्यापी विरोध के फलस्वरुप मोदी की मंशा सफल नहीं हुई। लेकिन बड़े कारपोरेट घरानों के हित को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने राज्यों को छूट दे दी कि वे अपने राज्य में संशोधन कर लें ताकि मल्टीनेशनल और कारपोरेट हाउस को लाभ पहुंचाया जा सके। ऐसे में ही रघुवर सरकार ने 12 अगस्त 2017 को झारखंड राइट टू फेयर कम्पेनशेसन रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट अमेन्डमेंट एक्ट 2017 कानून “ध्वनिमत“ से विधानसभा से संशोधन पास करवा लिया। विपक्ष की कुछ भी नहीं सुनी गई। 26 जून 2018 को संशोधन ने कानून की शक्ल ले ली। राज्यपाल-राष्ट्रपति से अनुमोदन के बाद विधि विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी।
सीएम पर लगाएं आरोप
उन्होंने कहा कि इस भूमि अधिग्रहण संशोधन अधिग्रहण के पीछे मुख्यमंत्री रघुवर दास का उद्देश्य मल्टीनेशनल और कारपोरेट हाउस को जमीन देना है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि इन कारपोरेट-मल्टीनेशनल की नजर यहां की जमीन के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधन, आयरन ओर, कोल मिनिरल्स पर है। अब इस काले कानून के सहारे झारखण्ड में रहने वाले गरीबों व आदिवासियों की जमीन को सार्वजनिक उपयोग के नाम अधिगृहित कर पूॅंजीपतियों को देने का काम कि जाएगा। पार्टी इसका जोरदार विरोध करेगी।