बैठक में सांसद सेठ ने कहा कि ओटीटी में भारतीय मूल्यों को नीचे दिखाने के प्रवृति बढ़ रही है। साम्प्रदायिकता को बढ़ा चढ़ाकर दिखाकर समाज को गलत दिशा में भटकाया जा रहा है। बच्चों के हाथ में ओटीटी बहुत ही आसानी से पहुंच रहा है। इसे रोकने के कोई ठोस उपाय नहीं है। इसपर रोका लगाना अतिआवश्यक है। चेतावनी होने के बावजूद बच्चे हर उस कंटेंट का उपभोग कर रहे हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए।
सामाजिक ढांचे असह्य
पाश्चात्य विचारों से जुड़ी सामग्री और उधर के ही मुद्दे पर बनी फिल्म को खूब धड़ल्ले से दिखाया जा रहा है। इससे पाश्चात्य विचारों की भारतीय विचारों के साथ के साथ मिलावट हो जा रही है। इसका लोगों के मन पर गलत और गहरा प्रभाव पड़ रहा है। यह हमारे पारिवारिक सामाजिक ढांचे के लिए बिल्कुल असह्य है।
ओटीटी से अप्राकृतिक यौनाचार को बढ़ावा
सांसद ने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म का कोई सेंसरशिप नहीं है। जिससे गाली, अप्राकृतिक यौनाचार आदि का बढ़ावा दिया जा रहा है और यह किसी के लिए भी गलत है। उसको लेकर सरकार को सोचना चाहिए और समसामयिक दृष्टि का विचार करते हुए अपने संस्कृति का ध्यान रखकर विद्वतजनों, कलाकारों आदि की राय लेकर कड़े कानून बनने चाहिए। सेठ ने कहा कि ओटीटी पर प्रोपोगंडा वाले कंटेंट का विश्लेषण करने के बाद ही रिलीज़ की अनुमति देनी चाहिए, ताकि इससे समाज में संतुलन बना रहे।