प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन कर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है और गरीब आदिवासियों की जमीन को छीनकर कॉपरपोरेट घरानों को देना चाहती है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बिल वापसी की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने राजभवन के समक्ष भी प्रदर्शन किया। राजभवन में ज्ञापन देकर राज्यपाल से अधिग्रहण बिल को वापस लेने की मांग की गई।
इधर, राज्य के प्रमुख विपक्षी दलों ने भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून के विरोध में कल 16 जुलाई को राजभवन के समक्ष धरना और प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला किया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और वामपंथी पार्टियां धरने में भाग लेंगी। विधानसभा में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून में राज्य के जनजातियों और मूल निवासियों की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा है कि स्थानीय लोगों को विकास के नाम पर जमीन से बेदखल किए जाने से लोगों में भारी निराशा
है।
उधर झारखंड विकास मोर्चा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हठ्धर्मिता छोड़कर सरकार से इस मामले पर संवेदनशील रवैया अपनाने की मांग की हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा है कि राज्य के लोगों विशेषकर आदिवासियों और मूल निवासियों में इस कानून को लेकर गहरी चिंता है। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता दीपक प्रकाश ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून से आदिवासियों के हितों की रक्षा होगी और संसाधनों का उपयोग राज्य के विकास के लिए होगा।