आगरा. भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए दौड़ तेज हो गई है। नामांकन की तिथि घोषित होने के बाद कई चेहरे राजनीतिक जोड़तोड़ में जुट गए हैं। विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण जातीय समीकरण को भी ध्यान में रखा जा रहा है ।
महत्वपूर्ण पद
सांगठनिक लिहाज से भाजपा जिलाध्यक्ष का पद काफी महत्वपूर्ण है। प्रदेश नेतृत्व का यह फरमान आ चुका है कि जिलाध्यक्ष विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। इसके चलते विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक कई नेता अपना पैर पीछे खींच चुके हैं। विधानसभा उम्मीदवारों के चयन में जिलाध्यक्ष की भूमिका अहम होती है, इसलिए कई नेता इस दौड़ में शामिल हैं ।
ये चेहरे हैं दौड़ में
मौजूदा जिलाध्यक्ष अशोक राना, महामंत्री ऋषि उपाध्याय, श्याम भदौरिया, जिला उपाध्यक्ष मनोज गुप्ता, प्रदीप भाटी, प्रशांत पौनिया, जिला मीडिया प्रभारी केके भारद्वाज तथा रामकुमार शर्मा के नाम जिलाध्यक्ष पद के लिए चर्चा में हैं।
ब्राह्मण की वकालत
आगरा में फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट से बसपा की उम्मीदवार सीमा उपाध्याय थीं। इन्हें हराकर ही भाजपा सांसद बाबूलाल संसद में पहुंचे हैं। ग्रामीण इलाकों में बसपा की गहरी पैठ है। लिहाजा भाजपा का एक गुट बसपा के ब्राह्मण चेहरे के खिलाफ ब्राह्मण जिलाध्यक्ष बनाने की वकालत कर रहा है। सांसद बाबूलाल के जाट बिरादरी से होने के कारण उसी बिरादरी के मौजूदा जिलाध्यक्ष अशोक राना तथा प्रशांत पौनिया की दावेदारी को कमजोर बता रहे हैं।
ठाकुर और वैश्य क्यों जरूरी
भाजपा का दूसरा खेमा ठाकुर बिरादरी से जुड़े श्याम भदौरिया तथा प्रदीप भाटी का नाम उछाल रहा है। इन सबसे अलग भाजपा उपाध्यक्ष मनोज गुप्ता के नाम की चर्चा भी जोरों पर है । इन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का समर्थक माना जाता है । वैश्य वोट बैंक को साधने के लिए इस जाति के उम्मीदवार को तवज्जो देने की वकालत की जा रही है ।
मंडल अध्यक्षों की घोषणा नहीं
भाजपा ने अभी तक मंडल अध्यक्षों की घोषणा नहीं की है। जिले में 22 मंडल हैं। नियमानुसार जिलाध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए कुल मंडल अध्यक्षों व जिला प्रतिनिधियों का दसवां हिस्सा प्रस्तावक के रुप में होना चाहिए। सदस्यता कार्य अधूरा होने के चलते सभी मंडल अध्यक्षों की घोषणा संभव नहीं है। लिहाजा मंडल अध्यक्षों की घोषणा के बाद ही पता लग पाएगा कि कितने भाजपा नेताओं को नामांकन भरने का मौका मिलता है।